Wednesday 21 September 2016

मजो ही कुछ और हो - महेश फौजी

पहले आळी हवा रही ना पहले आळ् पाणी
होगी खत्म कहाणी ना मिलति कोई भी चीज पुराणी।                        👌👌�👌�👌�👌�👌�👌�👌�👌

*�मजो ही कुछ और हो*           
          
चिमन बाबाळ घरांकन टुकारियो करबा को '                              
खाती बाबा क गदगाइ करबा को,                   
गंगजी आाळ खेत का मतीरीया खाबा को,                                                                                  हरत बामण आळी पोळी कन तास देखबा                    को,                                  
समंदर बाबोसां को माइक म फोन को हेलो मरबाको,                                                                          
*मजो ही कुछ और है।।*
                       
🏒
मोई डंका अर मारदड़ी खेलबाको,             
लुकखमिचणी म गूंण म लुखबा को           
👳ब्याव म लूखकी टुंटियो देखबा को,      🌧
⛈  नडियो जोहड़ म नागा नहाण को,              
🌠रात म कुवाळ कोठ म नहाण को,           🤕
गणपत बाब को तक की घाबा उठाण को                                         

*मजो ही कुछ और हो।*           

🎰तासयाँ कनू बीड़ी का कूटका उठाबा को                                              
फेर लूकख की बीड़ी पिण को
खेड़ा म जाकि तास खेलण को
स्कूल न जा कि गेल्ल म रहण को
काल्लू आल टिब्ब पर बस क लटकणो को

*मजो ही कुछ ओर हो*

चोमास म जोहड़ी म गुवाळी करण को
चपल भेळी करकि रसड़ी खेलबा को
तगर म खीर बणाकि कांकड़ जिमाण को
🍲🍲आथणा टिब्बा पर गांड घसेड़ी करबा को

*मजो ही कुछ ओर हो*

लामी डस आलो थेलो लेर स्कूल जाण को
रोसावांळ् ख़ात्याळ् खेतम राउण्डबाल खेलण को
गेल्लां म कांटकिलारी मारण को
रामेसरजी गुरजी ऑळ डायलोग सुणबा को
रामबच्चनजी आळ डंडा खाण को

*मजो ही कुछ ओर हो*

होळी म गीनड़ गहालबा को
खेताँ मूं सांगरी अर गुन तोड़न को
भरूंजी का बाकळऑ खाण को
चेजा अर पाया परूँ गुड़ ल्याबा को
जागरण म सारी रात चाय अर बीड़ी पिण को
मंदिर म झालर अर शँख बजाण को

*मजो ही कुछ ओर हो*

मेळ म डोकां की पूंपटी बजांण को
भरूंजी आळ जांट का खोखा खाण को
आती जाती मोटर गाडियाँ क लटकण को
कोटा की चिनी अर किरासणि तेल ल्यांण् को
लोह प्लास्टिक चुग की कुल्फी अर तरबूज ख़ाण को

*मजो ही कुछ ओर हो*

VCR पर फिल्म देखण को
न देखण दियां ट्रान्समिटर परूँ फेस उड़ाण् को
पोळी म चग्घा खेलण को
रामलीला म नकली को सांग देखण को  🤕कुआँळ् बाबोजी कन् चिलम पिण को          

*मजो ही कुछ ओर हो*

बिजळी आळ खम्बा की ताण तोड़ की चकरी गाडी बणाण् को
बिरनियांळी ट्यूबेल मूं चककरीय चोर की ल्याण को
ढ़ाण पर पाणी भरण को
चिंपटळ पर गूदड़ा धोंण को
खेळ मं डांगरां न पाणि पाण को।       🐪🐃🐐🐏🐄

*मजो ही कुछ ओर हो।*

✒✒✒✒✒✒✒✒✒✒✒ महेश फौजी

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