Wednesday 21 September 2016

धर्म का धंधा

" मुझे तुम्हारे जीवन की कमियाँ चाहिए । ऐसी सभी बुरी चीजें मुझे दे दीजिए, जिससे आपके परिवार को शर्मिंदगी न उठानी पड़े । आप अपनी कमियाँ मुझे दे देंगे, तो आपका प्रवचन सुनना और मेरा सुनाना सार्थक हो जाएगा ।
मैं आपकी कमियों को दफनाउँगा । आज इंसान इसलिए खुश नहीं है क्योंकि वह गलत धारणाओं को ज्यादा पालता है, । इसलिए मुझे आपके नोट नहीं, खोट चाहिये । क्योंकि मै तो साधू हूँ, मोह माया छोड़ कर आया हूँ यहाँ, अपने तन पर कपड़े तक नहीं पहनता, सजता संवरता नही, सिर्फ परोपकार करना चाहता हूँ । मै तो कहता हूँ मुझे इज्जत भी नहीं चाहिये, शोहरत इंसान को राक्षस बना देती है, इसलिये तुम भी मेरी तरह सब त्याग दो, शांति शांति " कहकर बाबा खड़े हुये और मंच के पीछे खड़ी मर्सडीज में बैठकर अपनी कुटिया चले गये, जहाँ वो रहते है ।
भंडारी जी अपने बेटे की तरफ मुँह करके बोले " अनुज, तुमने आज इनको अपनी फैक्ट्री में बुलाकर हमें धन्य कर दिया है ।"
"पिताजी ये तो हमारे मैनेजर इटूंदावाला जी का कमाल है, उन्होंने ही पूरा मैनेज किया था ।"
" चलिये उनको भी शाम को मीटिंग में अलग से धन्यवाद बोल देंगे "
शाम को ऑफिस में ...
मैनेजर इटूंदावाला : सर, वो बाबा जी का कार्यक्रम तो पूरा अच्छे से हो गया न, कोई कमी तो नहीं रही न ?
भंडारी : अरे नहीं, आपको तो हम धन्यवाद करेंगे इसके लिये, आपकी वजह से हमें पूण्य कमाने का मौका मिला है ।
मैनेजर इटूंदावाला : सर, ये तो मेरा काम था
भंडारी : तो चलो आपको इस काम का ईनाम भी देते है, ये 10 लाख रुपये आपके ( चेक बढ़ाते हुये )
मैनेजर इटूंदावाला : सर, इसकी क्या जरूरत है ... ( कहते हुये चेक लेकर जेब में डालते हुये )
इतने में भंडारी का लड़का अनुज भी पहुँचता है
भंडारी : आओ बेटे, तुम्हारा ही इंतजार हो रहा था
मैनेजर इटूंदावाला : सर, वो अब कुछ प्रोग्राम के खर्चे का हिसाब किताब कर लिया जाये, CA ने लिस्ट तैयार करदी है, पेमेंट करना है ।
भंडारी : हाँ, क्यों नहीं । बताइये
मैनेजर इटूंदावाला : सर, 2 करोड़ की हाईवे किनारे वाली जमीन तो आपने बाबा जी को आश्रम के लिये पहले ही दे दी थी, अब उसपर आश्रम बनवाने के लिये 1.5 करोड़ और देने है ।
भंडारी : हाँ, ठीक है । इसकी बात तो पहले ही हो चुकी है । इसके अलावा बताओ
मैनेजर इटूंदावाला : 10 लाख आज टेंट वाले को दिये थे और 2 लाख बाबा जी की सिक्यूरिटी के लिये ।
भंडारी : ह्म्म्म
मैनेजर इटूंदावाला : मजदूरों के खाने पीने पर 70 हजार
70 हजार ? इसका बजट तो 50 ही रखा था न ?
मैनेजर इटूंदावाला : जी, लेकिन वो ऐसे खा रहे थे जैसे सालों से खाना नहीं मिला हो ।
अनुज : ठीक है, ऐसा समझ लेंगे कि एक दिन ओबेरॉय में खाना नहीं खाया
( सब हँसते है )
भंडारी : इटूंदावाला, आप बाबाजी के मैनेजर से आप टच में रहना, सूरत, रायपुर, कोलकाता, धारूहेड़ा वाली फैक्ट्रीयों में भी सब मजदूरों के सामने एक एक सभा करवानी है ।
मैनेजर इटूंदावाला : जी, अगले 2 महीनों में बाकि 4 जगह पर भी हो जायेगी
भंडारी : वन टाइम इन्वेस्ट, लाइफ टाइम सर्विस इसी को कहते है इटूंदावाला जी, अब बाबाजी हर साल पाँचों जगह एक एक प्रोग्राम करेंगे और मजदूरों को अपने हक़ छोड़कर धर्म के लिये जीने को कहेंगे ।
मैनेजर इटूंदावाला : साथ में अनुज सर का वो आईडिया तो और ही कमाल का है, बाबाजी को दान देने वाला । जितनी तनख्वाह हम बढ़ायेंगे उतना तो वो हमें वापस दे देंगे
( जोर का अट्टहास )
अनुज : इसी को नए जमाने का बिज़नसमैन कहते है  इटूंदावाला जी
मैनेजर इटूंदावाला : सही फ़रमाया आपने ।
लेकिन सर, वो ट्रेड यूनियन वाले रमेश, इब्राहिम, रामदीन अभी भी मजदूरी बढ़ाने और शिफ्ट का समय कम करने पर अड़े हुये है । कहीं सारे मजदूर फिर से उनके जाल में न आ जाये
भंडारी : मैनेजर इटूंदावाला जी, आप धर्म को बहुत कमजोर मान रहे है, इसकी आस्था में बड़ा जोर होता है । धर्म के आगे लोग अपनों की नहीं सुनते, ये तो फिर भी साथ वाले मजदूर ही है, सबसे बड़ा डर इस दूनिया में भगवान का है, और यही डर हमारी नींव को मजबूत बनाता है,  आपने अभी तक इसका असर देखा ही कहाँ है ।

......क्रमशः

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