Wednesday 20 May 2015

मोदी जी, हम आपके PM होने पर शर्मिंदा हैं न कि भारतीय होने पर

दक्षिण कोरिया में NRI भारतीयों को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था, " कभी लोग सोचा करते थे कि उन्होंने पिछली जिंदगी में क्या खराब काम किए, जिसकी वजह से वे भारत में पैदा हो गए " इतने में ही नहीं रुके और आगे बोले "पहले लोग भारतीय होने पर शर्म करते थे लेकिन अब आपको देश का प्रतिनिधित्व करते हुए गर्व होता है. पिछले साल विदेशों में रहे सभी भारतीयों ने सरकार के बदलने की उम्मीद की थी "


इस तरह के भाषण मोदी ने कोई पहली बार नहीं दिये हैं, इससे पहले पिछले साल G20 देशों के सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया गए थे तब वहाँ भी कुछ इसी तरह की आत्ममुग्धता दिखाई थी अपने भाषणों में, लेकिन इतने गिरे हुये बोल नहीं थे । तब NRI भारतीयों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बकौल मोदी " पिछले 30 सालों में भारत में कोई भी दल अपने दम पर सरकार नहीं बना पाया लेकिन नरेंद्र मोदी ने अपने दम पर सरकार बनाकर दिखाई, देश को कांग्रेस ने अपने 50 साल के शासन काल में खड्डे में धकेल दिया ।"
इस तरह की भाषा जब किसी देश का प्रधानमंत्री बोले तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बाकि के देशों में उस देश की क्या छवि बनती होगी । ऐसी भाषा किसी लोकतांत्रिक देश के सबसे बड़े पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देती है । आपको इस कृत्य पर माफ़ी माँगनी चाहिये देश की जनता से और अगर आप में इतना दिमाग नहीं है तो अपने पूर्व PM और आपकी पार्टी के नेता अटल बिहारी वाजपेयी जी से सीखिये जिनसे विदेशी धरती पर कांग्रेस के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था कि " इस बारे में मैं सिर्फ़ भारत में ही बोलूंगा, ये हमारा आंतरिक मामला है "

शर्मिंदा आप नहीं बल्कि अटलजी‬ थे सन् 2002 में,  आपकी वजह से, गुजरात दंगों की वजह से !
उन्हें दंगों के अगले हफ़्ते विदेश जाना था, तब उन्होंने कहा था अब मैं क्या मुंह लेकर जाऊंगा विदेश ? उनकी शर्मिंदगी का 'कारण' उनका भारत में जन्मना नहीं था, बल्कि वह व्यक्ति था जो आज दुनिया भर में घूम-घूम कर अपमानित कर रहा है देश को!
इस पुरे विवाद से ट्विटर पर #ModiInsultsIndia वर्ल्ड वाइड टॉप ट्रेंड में शामिल हो गया क्योंकि PM के बयान ने हर भारतीय की संवेदनाओं को आहत किया । कुछ चुनिंदा ट्वीट्स यहाँ दिये जा रहे हैं -

सचित सेठ नाम से एक ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया, "भले ही हमारे देश में गोडसे, सावरकर, हेडगवार, गोलवलकर जैसे लोग थे लेकिन फिर भी मुझे भारतीय होने पर शर्म नहीं है "

@ascaniospread ने ट्वीट किया " जब हमारा प्रधानमंत्री गधों के साथ फोटो खिचवाता है और विदेशी अखबार उसकी खिल्ली उडाते हैं क्या बतायें साब बहुत शर्म आती है! #ModiInsultsIndia "


फ़हद ने ट्वीट किया, "इक़बाल ने 'सारे जहाँ से अच्छा...' 16 मई 2014 के बाद के लिए ही लिखा था. दुष्ट कांग्रेसियों ने इसका इस्तेमाल स्वतंत्रता आंदोलन में ही कर लिया "

गाँव वाला ने ट्वीट किया " मोदी जी, हमें भारतीय होने पर तो नहीं पर आपके PM होने पर शर्म आती है "


जोगिंदर रावत ने ट्वीट किया, "मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो विदेशी धरती पर भारतीय होते हए शर्म महसूस कर रहे हैं. जो भारतीय हैं उन्हें हमेशा भारतीय होने पर गर्व होता है "

आम जनता नाम के अकाउंट से ट्वीट किया गया, "मोदी जी मुझे भारतीय होने पर गर्व है, आप प्रधानमंत्री हों या ना हों "

Tuesday 19 May 2015

राज्य अपने अधिकारीयों की नियुक्ति को स्वतंत्र : संविधान

दिल्ली में AAP सरकार और उपराज्यपाल में हुआ नया विवाद अधिकारों का नहीं है, विवाद है केंद्र में बैठी बीजेपी के इगो का, जो केजरीवाल को काम नहीं करने देना चाहती है । संविधान में साफ साफ लिखा है कि राज्य में अपने अधिकारीयों की नियुक्ति करने का अधिकार जनता द्वारा चुनी हुई राज्य सरकार का है, जिसमें केंद्र सरकार को कोई रोल नहीं है, पर बीजेपी तो दिल्ली में सरकार न बनने के कारण अब असंवैधानिक तरीके से सरकार चलाने पर आमदा है । जो कि लोकतन्त्र की हत्या है ।

यहाँ सवाल केजरीवाल, मोदी, नितीश, मुलायम, ममता का नहीं है । न ही किसी AAP, बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बीएसपी का है, यहाँ सवाल लोकतंत्र का है, अगर एक चुनी हुई सरकार अपने अधिकारियों की नियुक्ति, तैनाती और तबादले संबंधी फैसले नहीं कर सकती, तो उसकी प्रशासनिक जवाबदेही कैसे तय की जा सकती है ?
इस बार दिल्ली में नया विवाद कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति पर शुरू हुआ है । यह विवाद अब आप और नजीब जंग के बीच नाक की लड़ाई बन चूकी है । दिल्ली के मुख्य सचिव केके शर्मा के 10 दिन की छुट्टी पर चले जाने से  शकुंतला गैमलीन को कार्यवाहक मुख्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपने का उपराज्यपाल के आदेश केजरीवाल सरकार को स्वीकार्य नहीं है।
दिल्ली सरकार का कहना है कि राज्य में प्रशासनिक नियुक्तियों के मामले में उपराज्यपाल को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। उपराज्यपाल का विवादित आदेश न तो पुलिस और न ही दिल्ली विकास प्राधिकरण से ताल्लुक रखता, जो महकमे केंद्र के अधीन हैं, उपराज्यपाल सिर्फ केंद्र से जुड़े पदों पर नियुक्तियों का अधिकार रखता है ।
इस बीच सरकार ने नौकरशाहों और अन्य आला अधिकारियों से कहा है कि सीएम और संबंधित मंत्री की अपू्रवल के बिना एलजी के आदेशों या निर्देशों को न माना जाए।


केजरीवाल ने गैमलिन पर 11 हजार करोड़ रुपए के कर्ज के जरिए रिलायंस इंफ्रा की दो वितरण कंपनियों का पक्ष लेने का आरोप लगाया था। साथ ही कहा कि यदि गैमलिन द्वारा तैयार की गई फ़ाइल पर मंत्री साइन कर देते तो बिजली के दाम 2 से 3 गुणा बढ़ जाते, जो सीधे तौर पर रिलायंस की अन्य कंपनी BSES को फायदा पहुंचाते ।
मुख्यमंत्री केजरीवाल के भारी विरोध के बाद भी  उपराज्यपाल नजीब जंग ने शुक्रवार को गैमलिन की कार्यवाहक मुख्य सचिव पद पर नियुक्ति कर दी थी। शनिवार को मुख्यमंत्री ने उनसे नए पद का कार्यभार नहीं संभालने को कहा था। लेकिन गैमलिन ने उनके निर्देशों की अनदेखी करते हुए उपराज्यपाल के आदेश का पालन किया और पद संभाल लिया ।
इस बीच केंद्र और केजरीवाल विवाद में भाकपा ने आप का समर्थन किया और कहा कि केंद्र की राजग सरकार दिल्ली सरकार के अधिकार को कमतर करने के लिए उप राज्यपाल के कार्यालय का ‘औजार’ की तरह इस्तेमाल कर रही है। पार्टी महासचिव सुधाकर रेड्डी ने एक बयान में कहा, केंद्र और राज्य सरकारों की शक्तियां संविधान प्रदत्त हैं और मोदी सरकार को इन प्रावधानों का उल्लंघन करने का कोई अधिकार नहीं है ।

Saturday 16 May 2015

जातिवादी रंग में रंगी वर्चस्व की लड़ाई

मीडिया में खबरें देखी कि मेड़ता सिटी के पास डांगावास गाँव में जाटों ने दलितों पर हमला किया, 3 की मौत । मेरी स्कूली शिक्षा मेड़ता में हुई क्योंकि मेरे पापा की पोस्टिंग वहीं थी । इसलिये मेरे उस क्षेत्र में अब भी बहुत से दोस्त हैं, तो फोन लगाया और पूछा कि भाई असल माजरा क्या है ? तो कुछ 5 - 7 दोस्तों से पूछने पर असल कहानी कुछ इस तरह निकल कर आयी -
1956 में चिमनाराम जाट के पुरखों ने रतनाराम और पांचाराम मेघवाल के पुरखों से जमीन खरीदी पर नियमों के चलते अभी तक चिमनाराम जाट SC/ST एक्ट की वजह से अपने नाम नहीं करवा सका, सिर्फ जुताई करता था । जमीन ज्यादा थी, 24 बीघा, तो लड़ाई कोर्ट में पहुँच गयी । जब वहाँ भी मामला न निपटता दिखा तो गाँव में सामूहिक बैठक करके उस जमीन को गौ-शाला के नाम करने का निर्णय लिया गया जो कि चावण्डिया रोड पर स्थित थी । इस बीच इस जमीन के लिये कई ज्ञापन आदि भी दिये गये SDM, कलेक्टर को पर कोई निबटारा नहीं हुआ । ये सब देख के जमीन के कागजिया मालिक रतनाराम मेघवाल ने उसपर पिछले कुछ दिनों से निर्माण कार्य शुरू करवा दिया । जब जमीन के जुताइया मालिक चिमनाराम जाट को ये पता लगा तो इसने विरोध किया । इस विरोध के कारण मेघवाल ने अपने निर्माण कार्य की रखवाली के लिये कुछ लठैत बावरिये रख लिए, जिनके पास देशी दो नाली बन्दूकें भी थी ।
फिर वो दिन आया यानि कि 14 - मई - 2015, जब दोनों पक्षों ने गाँव में मिल बैठके मसला सुलझाने का निर्णय किया, सुबह 10 बजे मीटिंग रखी गई लेकिन मेघवाल पक्ष नहीं आया तो उसको बुलाने कुछ लोग गये । जब वो 11 बजे उस खेत में पहुंचे तो वहाँ बैठे बेवड़े लठैतों को लगा कि उनको मारने आये हैं तो उन्होंने फायरिंग कर दी । जो वहाँ एक लड़के रामपाल के सीने में लगी और वो वहीं खत्म हो गया । ये खबर आग की तरह फैल गयी और डांगावास और उसके आस पास के गांवों से भी ट्रैक्टर - ट्रॉलियों में भरकर कोई 500 - 600 जाट आ गये और वहाँ मौजूद रतनाराम मेघवाल को इतना पीटा कि मरे समान हो गया तो उसको मरा हुआ समझके वहीं पटक दिया, और बाकि 2 में से एक पांचाराम को कुल्हाड़ी से काट दिया और दूसरे पोकाराम की आँखों में लकड़ी डाल दी और फिर उन दोनों को बांधकर के उनपर ट्रेक्टर चढ़ाया गया और तब तक ऊपर से निकाला गया जब तक वो ढंग से रौंद न दिये गये हो । बाकि लोगों ने वहाँ मौजूद महिलाओं के कपड़े फाड़ कर नंगा कर दिया और बलात्कार की कोशिश भी की । इसके बाद वहाँ बने हुये मकान को तोड़ दिया गया और वो सामान उठा के दूसरी जगह ले गये ।
अब तक 2 बज चुके थे, और जमीन के कागजिया मालिक रतनाराम को मेड़ता के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया जहाँ उसका ईलाज शुरू हो चूका था पर उसके जिंदा होने की खबर दूसरे गुट को लग गयी थी तो वो वहाँ पहुँच गये ईलाज कर रहे डॉक्टर्स को भगा दिया । उसको अस्पताल से बाहर लाकर उसकी गर्दन तोड़ दी गयी । इस बीच वहाँ मौजूद पुलिस वालों को भी पीटा गया । जब तक नागौर स्थित जिला पुलिस मुख्यालय से अतिरिक्त जाब्ता नहीं आ गया तब तक मेड़ता थाने में तैनात पुलिसवालों की गाँव में घुसने की हिम्मत तक नहीं हुई । फिर पुलिस जाब्ता पहुंचा और धारा 144 लगानी पड़ी । इस बीच अन्य घायलों को JLN अस्पताल, अजमेर रैफर किया गया जिनको ले जाने वाली एम्बुलेन्स को पुलिस सुरक्षा देनी पड़ी ।



अब तक इस हत्याकांड में 4 लोगों की मौत हो चुकी है और मीडिया इस वर्चस्व की लड़ाई को अगडों - पिछड़ों की लड़ाई बना चूका है, इसमें दोनों गुटों की बराबर गलती है लेकिन जाट संख्या में ज्यादा होने के कारण मेघवालों के लोग ज्यादा मारे गये और वो भी नृसंस तरह से । इस बीच जब मीडिया ने गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया से हत्यारों की गिरफ्तारी के बारे में पूछा गया तो वो बोले " कोई ऐसा जादू तो नहीं है हमारे पास, कि तुरन्त आदमी को ढूंढ लें "

Sunday 10 May 2015

माँ, आपके लिये एक दिन बहुत कम है

आज मदर्स डे है तो सब अपने - अपने हिसाब से मना रहे हैं पर पर ये उत्सव है, जो एक दिन मनाने वाला दिन नहीं है बल्कि ये तो पुरे साल चलने वाला है । एक दिन का भगवान बनाने से बेहतर है कि उसकी आप रोजाना सेवा करो । बस भगवान मत बनाओ, क्योंकि जब भी किसी को भगवान बनाया है तो वो अपनों से दूर होने का खामियाजा जरूर भुगतता है ।

मैं अपनी बताता हूँ कि मुझे माँ की याद सबसे ज्यादा तब आती थी जब मैं भूखा होता था, क्योंकि माँ हर समय खाने को पूछती थी । हाँ ऐसे भी मैं माँ को बहुत याद करता था पर सबसे ज्यादा तब जब मुझे उनकी जरूरत होती थी । इसके अलावा जब मैं कॉलेज में पढ़ने के लिये घर से दूर गया तो शुरू में हॉस्टल में रहा तो वहाँ मुझे खाना खाते समय माँ की याद आती थी, क्योंकि वहाँ का खाना ही इतना खराब होता था ।
कई बार माँ को काम करते देखता था तो उनकी इज्जत मेरी नजरों में बढ़ जाती थी । जैसे कि मैंने फिर हॉस्टल छोड़ा और किराये पर फ्लैट लेकर रहने लगा तो जब खाना बनाता था तो कभी हाथ जल जाता तो सोचता कि एक बार में इतना जलता है तो माँ का हाथ तो रोज जलता है फिर भी वो उफ्फ नहीं करती । फिर जब कपड़े धोने शुरू किये तब पता चला कि कितनी मेहनत करनी पड़ती है वरना हम तो सिर्फ माँ को बोल देते थे कि कपड़े धो दो ।
फिर एक बार जब माँ गैस जला रही थी तो उसने आग पकड़ ली । वो तो बचके बाहर आ गई पर मेरी चाची जी अंदर फंस गयी तो लोगों के लाख रोकने के बाद भी उनको बचाने के लिये जलते गैस सिलिंडर को बाहर घसीट ले आई । तब मेरे लिये मेरी माँ की इज्जत और बढ़ गयी ।

बाकि माँ के बारे में जितना कहूँ उतना कम है, जो लोग माँ को बोझ मानते हैं उनको इतना याद रखना चाहिए कि जो आपको पाल - पोसकर इतना बड़ा कर सकती है वो अपना जीवन तो गुजार ही सकती है । जब छोटा था तब मेरे गुरूजी ने कहा था " पुत्र, कुपुत्र हो सकता है पर माता कभी कुमाता नहीं हो सकती । " इसलिये हमें चाहिये कि हम गुरूजी के इस वक्तव्य को झूठा साबित करें ।

In this photo : My mom

डॉ कलाम को श्रद्धांजलि

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam ) का जन्म 15 October 1931 को तमिलनाडु के Rameswaram में हुआ । इन्होंने 1960 ...