Wednesday 6 January 2016

जवाब माँगते सवाल

श्रद्धांजली ।
देशभक्ति का आभासी आवरण हटाकर अब सोचने वाली बात ये है कि 5 मामूली आतंकियों को मारने के लिये 7 जवान मरवा दिये, आर्मी मानती है कि विरोधियों का ज्यादा से ज्यादा नुकसान और खुद का कम, यदि बराबरी पर जंग छूटे तो खुद को हारा हुआ मानो । पर यहाँ तो बिलकुल उल्टा हुआ, लगा ही नहीं कि हम कहीं मुकाबले में हैं, कमियां ही कमियां पुरे ऑपरेशन में -


पहली कि sp की गाड़ी ले गये और पुलिस ने जहमत नहीं उठाई ।
दूसरी, अलर्ट के बाद इतनी बड़ी घटना को भी मामूली मानना और कोई एक्शन न लेना
तीसरी, प्रयाप्त सैनिकों का न रहना
चौथी, नेतृत्व की कमी
पाँचवी, सत्ताखोरों की उदासीनता
छठी, रणनीतिकारों का न होना
सातवीं, अफसरों की लापरवाही ( बम डिफ्यूज करते समय निरंजन का शहीद होना )
आठवीं, पास में स्थित आर्मी कैंप से सामंजस्य न बैठा पाना
नौवीं, NIA, रॉ, IB का ख़ुफ़िया तंत्र बुरी तरह से फ़ैल होना और अंतिम
दसवीं, सैनिकों में प्रशिक्षण की भारी कमी । पुरे ऑपरेशन में कहीं नहीं लगा कि आर्मी जवाब दे रही है । होम गार्ड ही पार पा लेते इस तरह की कार्यवाही को ।
नोट : sp सलविंदर सिंह से कड़ी पूछताछ होनी चाहिए, जब कार ड्राईवर को मार दिया तो sp को कैसे छोड़ा, जबकि गाड़ी पर नीली बत्ती लगी हुई थी, तो न पहचानने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता

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