Friday 25 December 2015

बातचीत ही आखिरी रास्ता

प्रिय मोदी जी,

बड़ी ख़ुशी हुई कि आप पाकिस्तान गये और उम्मीद करता हूँ कि आगे भी ऐसे ही जाते रहेंगे जिससे दोनों देशों के आपसी सम्बंधों में मजबूती आएगी । हिंदुस्तान और पाकिस्तान की अवाम तो हमेशा से बातचीत के पक्ष में रही है पर निजाम हैं कि गोलियों बिना बात ही नहीं करते ।
हमारा तो यहीं मानना है कि बॉर्डर पर जो खून खराबा चलता रहता है वो बन्द हो जाये बस क्योंकि बॉर्डर पर तो हम किसान मजदूरों के भाई, बेटे शहीद होते हैं ।

सबको पता है कि आखिरी हल बातचीत से ही निकलता है । आप, आपके संघ वाले और उनके पाकिस्तानी समकक्ष जमात-उद-दावा वाले भी इसे अच्छे से समझते हैं तो इसे अपनाने में इतनी हिचक क्यों ?
आपसे पहले वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने 8 जनवरी 2007 को कहा था कि " मैं एक ऐसे दिन का सपना देखता हूँ जब सुबह का नाश्ता अमृतसर में, लंच लाहौर में और डिनर काबुल में होगा " तो उनके इस मानवतापूर्ण कार्य को आगे बढाते हुये इस खाई को संकरी करने की कोशिश कीजिये ।

रही बात पाकिस्तान जाने के असल मक़सद की तो वो चाहे जिंदल का बिज़नस बढ़वाना हो या फोटो खिंचवाना हो या मिठाई खाना हो या कसाब को खिलाई बिरयानी का बदला लेना हो पर आपकी इस यात्रा से छद्म राष्ट्रवादियों ( आपके भक्तों ) में खलबली मची हुई है ।

इस मुद्दे पर आपके बोल ही ऐसे रहे हैं कि लोग तो आपके मजे लेंगे ही । अवाम आपके साथ होगी क्योंकि उसकी भलाई इसी में है । हाँ कुछ लोग बोल रहे हैं कि आपने मनमोहन सिंह को कायर, देहाती औरत और पता नहीं क्या क्या बोला था, तो अब आप जाके क्यों अपनी भद्द पिटवा रहे हैं ? माना आपमें तब इतनी समझ नहीं थी या आपको राजनीती करनी थी । कोई नहीं, ऐसा सबके साथ होता है । हमारे गाँव-देहात में कहते हैं " अक्ल बादाम खाने से नहीं, ठोकर खाने से आती है " और लग रहा है आपको भी ऐसे ही आयी है ।


एक बात और, आपके जो ये भक्त हैं न उनको सम्भाल लो, आपकी इज्जत अपने आप बढ़ जायेगी । और जो थोड़ी बहुत कमी भक्त छोड़ते हैं वो आपके बेलगाम पार्टी सांसद कर देते हैं । तो यही कहना है कि पाक से रिश्ते जोड़ोगे तो भक्तों की देशभक्ति कहीं और शिफ्ट करने का तरीका भी ढूंढ लेना नेपाल , चाइना वगैरा ।

बस अंत में यही गुजारिश है कि जैसे आपका मन किया और पाकिस्तान चले गये वैसा ही कुछ आम लोगों के लिये भी करवा दो, यानि कि दोनों देशों के बीच वीजा खत्म कर दो । वहाँ के कलाकार, खिलाड़ी यहाँ और अपने वहाँ घर समझ के खेलें कमायें, इससे अच्छा और क्या हो सकता है भला । रही बात आतंकियों के आने जाने की तो अभी कौनसा वो आपसे वीजा लेके आते- जाते हैं ।

बातचीत बन्द करने की बोलने वाले या तो बेवकूफ हैं या शांति विरोधी, वरना बातचीत क्यों बन्द की जाये । कोई एक तर्क बता दीजिये आप जिससे आतंकवाद रुक सकता है बातचीत बन्द करने से । मरने वाले हमारे भाई ही हैं फिर वो फौज की वर्दी में मरे या बिना वर्दी के, इससे क्या फ़र्क़ पड़ना है । जो लोग बातचीत बन्द करने की बोल रहे हैं वो एक तरह से आतंकियों की भाषा ही बोल रहे हैं और उनकी बात को पुख्ता कर रहे हैं । मोदी जी आपकी दूसरी बार तारीफ कर रहा हूँ, पिछली बार की तरह इस बार भी भद्द मत पिटवा लेना ।

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो जायें तो शर्मिंदा न हों

आपका

आम आदमी


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