Tuesday 26 January 2016

क्यों करूँ विश्वास तुम्हारे भगवान पर ?

( मेरी पहली कविता है, बहुत अच्छी तो नहीं बोल सकते है पर कोशिश की है अच्छा लिखने की । आगे निरंतर अच्छे लेखन के वादे के साथ सभी नास्तिकों को समर्पित मेरी ये कविता )

लोग पूछते हैं,
तुम नास्तिक क्यों ?
कहता हूँ,
क्यों करूँ विश्वास तुम्हारे भगवान पर ?
जब है यकीं भुजाओं पर,
जब है संतोष रजाओं पर,

लोग पूछते हैं,
तुम नास्तिक क्यों ?
कहता हूँ,
क्यों करूँ विश्वास तुम्हारे भगवान पर ?
डर नहीं है मौत का,
लालच नहीं है 72 हूरों का,

तो बताओ
क्यों करूँ विश्वास तुम्हारे भगवान पर ?

तुम्हारी आस्था दिखावी है,
जब बहा देते हो दूध नाली में,
बिना भरे उदर किसी दीन का ।

तुम्हारी माता की पूजा दिखावी है,
जब मारते हो औरत को,
नाम लेके दहेज का ।

तुम्हारा संथारा दिखावी है,
जब काटते हो जेब,
किसी गरीब की

तुम्हारी ईदी दिखावी है,
जब बहाते हो खून,
शक्तिहीन का

तो बताओ
क्यों करूँ विश्वास तुम्हारे भगवान पर ?


दम तोड़ देता है धर्म तुम्हारा,
इंसानियत के नाम पे

जान ले लेता है धर्म तुम्हारा,
शरीयत के नाम पे

भाग खड़ा होता है धर्म तुम्हारा,
विज्ञान के नाम पे

दुबक जाता है धर्म तुम्हारा,
तर्क के नाम पे

अंधा हो जाता है धर्म तुम्हारा
अल्लाह-ईश्वर-जीजस के नाम पे

तो बताओ
क्यों करूँ विश्वास तुम्हारे भगवान पर ?

नास्तिकता,
नाम है निरंतर चिंतन का,
कर्म है मुफ़लिस की सेवा का,
मर्म है कौमी-एकता का,
जन्म है नए विचार का,
निर्माण है नये समाज का,
इलाज है पौंगावाद का,
आगाज़ है इंक़लाब का

तो कहता है कवि, पुरे होश-ओ-हवाश में ।
नहीं मानता धर्म तुम्हारा, जो काम न आये इंसान के ।।

No comments:

Post a Comment

डॉ कलाम को श्रद्धांजलि

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam ) का जन्म 15 October 1931 को तमिलनाडु के Rameswaram में हुआ । इन्होंने 1960 ...