Wednesday 23 December 2015

रेप का उपाय सज़ा या संस्कार ?

कभी किसी लड़की के पीछे खड़े होके देखना कि बाकि लोग उसपर कैसे रिएक्ट करते हैं, सच में खुद पर गुस्सा आ जायेगा कि ये सब हरकतें कई बार हमारी दोस्त, बहन, बेटी के साथ भी होती है पर वो हमे बताती नही है, आवाज नहीं उठाती, वो घुट घुटकर मरती है । क्यों ? क्योंकि उसे हम पर भरोसा नहीं कि हम भी उन लोगों से अलग हैं ।इसके लिये हम ही जिम्मेदार हैं क्योंकि गाहे बगाहे हम उन्हीं लोगों में शामिल होते हैं, बाकि इस भाषणबाज़ी से कुछ न होगा, जब तक आधी आबादी खुद अपनी आवाज नहीं बनेगी । वैसे भी किराये के सैनिकों से लड़ाई नहीं जीती जाती ।

रही बात रेप की तो रेप करने वाले की कोई उम्र नहीं होती, किसी का रेपिस्ट बनना उसकी  मानसिक अवस्था है जिसे हम सज़ा कड़ी कर, जुवेनल एक्ट में उम्र घटाकर नही रोक सकते, इससे तो हम लोगों को अपराध की तरफ धकेलेंगे । सब जानते हैं कि आजतक जो जेल गये हैं उनमें से सुधरे बहुत कम हैं और बिगड़े ज्यादा । उम्र कम करना एक तत्कालीन उपाय हो सकता है पर दीर्घकालीन नहीं ।
आपको कुछ केस बताता हूँ जिनसे आपको अलग - अलग नजरिये देखने को मिलेंगे, जैसे :

1. आजकल जाने अनजाने में कम उम्र के नासमझ बच्चे शारीरिक सम्बन्ध बना लेते है और जब लड़की के घरवालों को पता चलता है तो लड़की को कूट-पीटकर लड़के के खिलाफ केस करवा देते हैं, फिर जब कोई बन्दा एक बार जेल होके आ गया तो उसका डर भी वही रह जाता है, और उसके सुधरने का क्रम बन्द हो जाता है । इसलिये ये कहना कि कठोर नियम से सब सुधर जायेंगे, अतिशयोक्ति होगी ।

2. यदि लड़के की उम्र 18 ( अब तो 16  कहे ) से ज्यादा हो पर लड़की की उम्र 18 से कम हो तो महिला एक्ट के हिसाब से वो रेप या सेक्सुअल हरेसमेंट माना जायेगा, फिर चाहे उसमें लड़की की कितनी भी मर्जी रही हो ।

3.  देश में इन सब कड़े कानूनों का फायदा पीड़ितों को मिलेगा, शंकित करता है । क्योंकि यहाँ जितने रेप होते हैं उनमें 25% ही दर्ज नहीं होते हैं । हम और आपने ये तो आसपास के माहौल में देखा ही होगा । और जितने दर्ज होते हैं उसके 50% प्यार,नाजायज़ सम्बन्ध इत्यादि से जुड़े होते हैं । हालांकि ऐसे केस पैसे ले देके निपट जाते हैं । बाकि बचे 25% एक बिलकुल झूठे होते हैं जो किसी को परेशान करने, पैसे ऐंठने या समाज में बदनाम करने के लिये लगाये जाते हैं ।


4. भारत जैसे संकीर्ण मानसिकता वाले देश में जहाँ इज्जत को सेक्स से जोड़कर देखा जाये वहाँ कड़े नियमों की नहीं लोगों का मानसिक दिवालियेपन खत्म करने की जरूरत ज्यादा है ।

5. जब तक बाजार औरत को भोग की वस्तु की तरह प्रस्तुत करेगा और हम उसको बढ़ावा देते जायेंगे तब तक ये रुकना नामुमकिन है ।

6. समाज जब तक पितृ सत्तात्मक रहेगा तब तक आधी आबादी यूँ ही कुचली जायेगी । कानून बनाना है तो बेहतर शिक्षा का बनाएं । पैसे के बल पर किसी की समझ नहीं बदली जा सकती है ।
घर पर आने वाले पैसे औरत को देके सरकार ये समझती है कि इससे नारी सशक्तिकरण हो जायेगा तो ये सरासर बेवकूफी होगी, क्योंकि जब तक उसमें आत्मविश्वास पैदा नहीं होगा तब तक वो उन पैसों का भी सही जगह उपयोग नहीं कर सकती ।

7. परिवार की लड़कियों को सुरक्षा का अहसास दें न कि तानाशाही का । यदि उनके साथ किसी ने छेड़खानी की भी होगी तो भी हमारे तानाशाही व्यवहार की वजह से बताने से डरेगी, उनको सुरक्षा का भाव दें ।

कल को मेरे घर या जानकारों में भी क्या पता ऐसा कोई हादसा हो जाये और मै भी अपने ऊपर लिखे शब्दों के उलट कार्य करूँ पर इस तथ्य को कोई झुठला नहीं सकता कि सज़ा से रेप कम होंगे, जब तक हम मानसिक रूप से मजबूत नहीं होंगे तब तक रेप कम होने का सवाल ही नहीं उठता ।


अंत में यही कहूँगा कि लड़कियों के प्रति सोच बदलें, उनको अपनी माँ, बहन, बीवी आदि की जगह रखकर सोचें, रेप अपने आप कम हो जायेंगे । मैं किसी अफरोज खान जैसे विकृत सोच वाले दरिंदे के बचाव के पक्ष में नहीं हूँ जिसने किसी के पेट में रोड डालकर उसकी आंतड़ियाँ तक बाहर निकाल दी हो । विकृत मानसिकता वाले अपराधी के विरोध में तब भी सबसे आगे था और आगे भी रहूँगा ।



No comments:

Post a Comment

डॉ कलाम को श्रद्धांजलि

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam ) का जन्म 15 October 1931 को तमिलनाडु के Rameswaram में हुआ । इन्होंने 1960 ...