Thursday 3 November 2016

OROP की हकीकत

एक तरफ दिल्ली पुलिस शहीद के परिवार को पीट रही है, गिरफ्तार कर रही है, डेड बॉडी नहीं दे रही और दूसरी तरफ उनकी आवाज उठाने वालों को केंद्र की बीजेपी शासित सरकार और उसके गुर्गे समूह के लोग और मीडिया मिलकर देशद्रोही घोषित कर रही है, आखिर समझा क्या है इस सिस्टम को, हलवा ?

जिस OROP को लेकर भिवानी के सूबेदार ( रि.) रामकिशन ग्रेवाल ने अपने प्राणों की आहुति दी, वो असल में है क्या ? सैनिकों और सरकारी दावों में विरोधाभासों को लेकर इस वन रैंक - वन पेंशन ( OROP ) की हकीकत -

✍ पहली बात तो सरकार ने वन रैंक - वन पेंशन लागु  ही नहीं की, OROP का सीधे शब्दों मतलब होता है एक रैंक से रिटायर होने वाले सभी सैनिकों को एक समान पेंशन मिलना, जो कि किसी भी सरकार ने नहीं किया, मतलब सफ़ेद झूठ बोल रहे है
✍ जूनियर और सीनियर को समान वेतन मिलना, या किसी भी सीनियर को जूनियर से कम वेतन नहीं मिलना
✍ OROP लागु करने की दलील देने वाली सरकार ने 40% वालंटियर रिटायर लेने वाले सैनिकों  को तो वैसे भी बाहर कर रखा है, फिर इसकी जद में सब कैसे आये ?
✍ जो छोटी रैंक के फौजी है उनको आपने वैसे लटकाया हुआ  है । जो थोड़े बहुत लाभार्थी है वो बड़ी रैंक के अफसर है जो आपका मीडिया में आकर बचाव कर रहे है ।
✍ उनमें से आधे तो वो सटके हुए अफसर है जो बोलते है 10 रूपये दे देते तो इन सैनिकों की जुबान बंद हो जाती ( ibn7 का पर पूर्व आर्मी अफसर और बीजेपी प्रवक्ता हुन साहब की आज शाम 5:30 बजे की बहस को देखें )
✍ एक पुराने जनरल वीके सिंह बोलते है कि सैनिकों को 4 पैसे के लिए ऐसे बेवकूफी भरे कदम नहीं उठाने चाहिए, जबकि वो खुद जन्म की तारीख के लिए सुप्रीम कोर्ट तक चले गए थे ।
✍ OROP की रिव्यु कमिटी को आपने बनाया है उसमें सिर्फ एक आदमी को रखा है, अफसोस कि वो भी सरकारी नुमाइंदा है ।
✍ OROP रिव्यु कमिटी 5 साल में रिव्यु देगी, मतलब 5 सालों में रिटायर होने वाले सैनिकों का वेतन अलग अलग होगा जो हर 5 साल बाद एक समान किया जायेगा, इसे प्रतिवर्ष किया जाये, ये सैनिकों की माँग है
✍ बेस ईयर 2015 किया जाये जबकि सरकार 2013 पर अड़ी है,
✍ एरियर का तत्काल भुगतान किया जाये, जनवरी 2006 से आज तक का
✍ एक सैनिक की विधवा की पेंशन बढ़ाई जाये, अभी बमुश्किल 6500 है, जिसमें घर चलाना मुश्किल है
✍ सरकार जितने पैसे को लेकर फंड न होने का बहाना बना रही है, वो मात्र 200 करोड़ सालाना है जबकि उससे कहीं ज्यादा 250 करोड़ तो पिछले साल गैस सिलिंडर की 100 करोड़ की सब्सिडी छुड़ाने  के लिए advertisements पर खर्च कर दिए थे ।
✍ देश में किसी भी सरकारी कार्मिक के ऑन ड्यूटी दिव्यांग होने पर तनख्वाह का 30% मिलता है जबकि वर्तमान सरकार ने इसे सैनिकों के लिए घटाकर 10% कर दिया है ।
✍ देश में पुलिस में DIG 28 साल की सर्विस में बन जाता है, जबकि आर्मी चीफ बनने को 32 साल लगते है पर दोनों के वेतन में बहुत फर्क है ।


इस बात को मानने में कोई झिझक नहीं है कि वेतन में वृद्धि हुई है पर कितनी ? क्या माँग थी उतनी की ? नहीं न, तो फिर वृद्धि - वृद्धि क्यों चिल्ला रहे हो सरकार ?

कुल मिलाकर OROP को आपने मजाक बना दिया है, मेरे घर में 2 रिटायर्ड फौजी है, 2 आने वाले है, और 3 बंदे 6 साल बाद रिटायर आ जायेंगे, सभी की पेंशन में विसंगतिया भरी पड़ी है, आप जितनी बेबाकी से सर्जिकल स्ट्राइक का क्रेडिट खुद को, आरएसएस को दे रहे थे क्या उतनी ही बेबाकी से OROP को ढंग से लागू न करने क्रेडिट भी देंगे ?  अपना फैलियर मानेंगे ?  कभी नहीं, और उम्मीद भी नहीं है क्योंकि शहीदों के ताबूत खा सकते है उनसे उम्मीद करना बेवकूफी होगी । जब ये करने की हिम्मत नहीं है तो चुप हो जाइये और बैठ जाइये, बंद कीजिये ये दिखावा ।
और बात करते है सैनिक सम्मान की

2 comments:

  1. Very well written and so true!

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  2. सटीक विवेचना ।अच्छा लगा पर परिवर्तन तब तक नहीं होगा जब तक आम जनता जात पांत ,धर्म संप्रदाय अगड़े पिछड़े पर छिछोलेदारी से मुक्त हो सामूहिक हित में काम करने वाली व्यवस्था की चाहत रख एक जुट नहीं होंगे तब तक यह सब तो भुगतना ही पड़ेगा ।एक एक कर नंबर सभी का आना है

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