Wednesday 9 November 2016

करेंसी में बदलाव से हम कितना बदले ?



500 / 1000 हजार के नोट बंद कर 500 / 2000 के चालू करने से काला धन / भ्रष्टाचार/अपराध/आतंकवाद आदि 100% ख़त्म हो जायेन्गे, ये तो कहना सही नहीं होगा पर कमी जरूर आयेगी, इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए किसी को । 1977-78 में जनता पार्टी की सरकार ने भी एक हजार, पाँच हजार, दस  हजार के नोट बंद किये थे, उससे तब देश में काला धन / भ्रष्टाचार पर कुछ ज्यादा लगाम नहीं लगी थी । इसके बाद फिर से 500 का नोट आया और उसके बाद 2001 में पिछली बीजेपी सरकार 1000 का नोट लेकर आई । आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार सर्कुलेशन में 77% तक 500 और 1000 के नोट है । तो फिर अगला सवाल ये भी है कि इतनी बड़ी संख्या में रिप्लेस के लिए 100 के नोट कहाँ से आयेंगे ? क्या इससे 100 के नोटों की कालाबाजारी नहीं होगी ? क्या इसके भी कोई उपाय सोचे है सरकार ने ? क्योंकि दिहाड़ी मजदूर, छोटे दुकानदार, घरों में काम करने वाले लोगों को भुगतान 500 और 100 रुपये में भुगतान होता है तो उनका तो काम ही अटक जायेगा इससे । इसका भी कोई तोड़ निकालते तो एक बेहतर उदाहरण होता ।
पर इसका मतलब ये तो कतई नहीं कि प्रयास करने बंद कर दें लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि वो गलतियां दोहरायी जाये जो पूर्व में की गयी थी । जैसा कि NDTV पर एक बहस में एक एक्सपर्ट बता रहे थे कि ब्लैक मनी का कुछ हिस्सा ही नकदी में घूमता है, ज्यादातर तो कहीं न कहीं इन्वेस्ट हुआ रहता है जैसे रियल एस्टेट, ज्वैलरी, शेयर मार्केट इत्यादि । और ये सब बैक डेट के बिल दिखाकर ब्लैक से व्हाइट मनी में बदलते है खासकर शेयर मार्केट में ये सब ज्यादा होता है ।
इसका एक साइड इफ़ेक्ट ये भी पड़ेगा कि वैश्विक स्तर पर हमारी साख कमजोर होगी, क्योंकि किसी भी देश में जब सबसे बड़ी चलित मुद्रा की वेल्यु से बड़ी मुद्रा जारी की जाती है तो समझा जाता है कि वहां के वित्तीय हालात कमजोर हुए हैं । इससे बचने के लिए 2000 की जगह 1000 के ही नये नोट निकाल सकते थे जैसे कि 500 के निकाले है । या फिर 1000 से छोटे जैसे 200, 300,400, 600, 700, 800 आदि ।
2000 का बड़ा नोट निकालने के पीछे का एक अन्य कारण ये भी है कि पिछले कुछ समय में मंदी की वजह से मार्किट में नकदी की कमी आ गयी थी, जिसे दूर करने के लिए बड़ा नोट चलाया गया है, जिससे मार्केट में ज्यादा से ज्यादा नकदी आये । वेसे भी सामान्य रूप से 2000 का नोट जारी करते तो पूरी दुनिया में मैसेज़ जाता इंडिया की इकोनॉमी कमजोर हुई है क्योंकि किसी भी देश में जब सबसे बड़ी चलित मुद्रा की वेल्यु से बड़ी मुद्रा जारी की जाती है तो इसका मतलब वहां के वित्तीय हालात कमजोर हुए हैं ।

जैसा कि मुकेश त्यागी जी लिखते है " कुछ बिल्कुल पुराने किस्म के नकदी में काला धन रखने वाले कुछ कारोबारियों को थोड़ी दिक्कत जरूर होगी; कुछ मध्यम वर्गीय काला धन बाहर आ सकता है; पर उनके लिए भी उपाय निकल आएंगे - कमीशन पर बैंकों/RBI से इन नोटों को बदलवाने का कालाबाजार भी कुछ दिन में ही नजर आ जायेगा। नोट बदलने के कायदों में ही थर्ड पार्टी के जरिये नोट बदलने का एक प्रावधान भी चर्चा में है जो ऐसे लोगों के बड़े फायदे का होने वाला है!"
आगे लिखते है कि " हाँ छोटे कारोबारियों-किसानों आदि से हो सकता है उन के नोटों को बदलने के बदले भी रिश्वत-कमीशन मांगना शुरू कर दिया जाये तो अचम्भा ना होगा। इसी तरह जिन लोगों ने पहले से रोजमर्रा की जरुरत के लिए थोड़ी नकदी निकाली हुई है उन्हें भारी दिक्कत होने वाली है अगले कुछ दिन खर्च चलाने के लिए - आश्चर्य न होगा अगर उन्हें भी कालाबाजारी का शिकार होना पड़े, जरुरत के काम निपटाने के लिए।"




1 comment:

  1. Critically written. It will bother the common man rather than keeping a check on real black money holders.

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