Monday 5 October 2015

तुम बिल्कुल हम जैसे निकले, अब तक कहां छुपे थे भाई ?

पाकिस्तान से फहमीदा रियाज की नज्म,
आज के हिंदुत्व पर :
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तुम बिल्कुल हम जैसे निकले
अब तक कहां छुपे थे भाई ?
वह मूरखता, वह घामड़पन
जिसमें हमने सदी गंवाई
आखिर पहुंची द्वार तुम्हारे
अरे बधाई, बहुत बधाई
भूत धरम का नाच रहा है
कायम हिन्दू राज करोगे ?
सारे उल्टे काज करोगे ?
अपना चमन नाराज करोगे ?
तुम भी बैठे करोगे सोचा,
पूरी है वैसी तैयारी,
कौन है हिन्दू कौन नहीं है
तुम भी करोगे फतवे जारी
वहां भी मुश्किल होगा जीना
दांतो आ जाएगा पसीना
जैसे-तैसे कटा करेगी
वहां भी सबकी सांस घुटेगी
माथे पर सिंदूर की रेखा
कुछ भी नहीं पड़ोस से सीखा !
क्या हमने दुर्दशा बनायी
कुछ भी तुमको नज़र न आयी ?
भाड़ में जाये शिक्षा-विक्षा,
अब जाहिलपन के गुन गाना,
आगे गड्ढा है यह मत देखो
वापस लाओ गया जमाना
हम जिन पर रोया करते थे
तुम ने भी वह बात अब की है
बहुत मलाल है हमको, लेकिन
हा हा हा हा हो हो ही ही
कल दु:ख से सोचा करती थी
सोच के बहुत हँसी आज आयी
तुम बिल्कुल हम जैसे निकले
हम दो कौम नहीं थे भाई
मश्क करो तुम, आ जाएगा
उल्टे पांवों चलते जाना,
दूजा ध्यान न मन में आए
बस पीछे ही नज़र जमाना
एक जाप-सा करते जाओ,
बारम्बार यह ही दोहराओ
कितना वीर महान था भारत !
कैसा आलीशान था भारत !
फिर तुम लोग पहुंच जाओगे
बस परलोक पहुंच जाओगे !
हम तो हैं पहले से वहां पर,
तुम भी समय निकालते रहना,
अब जिस नरक में जाओ, वहां से
चिट्ठी-विट्ठी डालते रहना !

#SaveHumanity

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