Tuesday 7 July 2015

बड्डे बॉय

आज 7 जुलाई है, यानि मेरा जन्मदिन । डूड वाली भाषा में हैप्पी बड्डे पर बिना केक वाला । केक, गुब्बारे, पटाखे, पार्टी, नाच-गाना; इनका तमाशा मुझे कभी भी नहीं सुहाया । शायद मेरे ग्रामीण परिवेश की वजह से क्योंकि वहाँ जन्मदिन याद रखना बड़ी टेढ़ी खीर है । जब मैं 8वीं में था तब बोर्ड के फॉर्म भरने के लिये मैंने दादी से पूछा तो कुछ यूँ बताया था " तू 47 की साल मं आषाढ़ लागत की दशम न जलम्यो हो, धोळी दोपहर मांय " 


दोपहरां ?
हाँ, एकदम धोळी दोपहर न
मन्ने अ थारला षाढ़-सावण समझ कोनी आवे, टेम इयाद ह के ?
बही मायं लिखेड़ो ह, थारलो अंग्रेजी टेम भी लिखेड़ो है
और बही में देखा तब पता चला कि 7 जुलाई 1991 को जन्मे थे, दोपहर 12 बज 5 मिनट पर, रविवार को । मैंने ख़ुशी ख़ुशी में चाचाजी को बताया कि देखो मैं रविवार को जन्मा हूँ ।
तो बोले " यार गलत लिख दिया होगा किसी ने, रविवार को तो कोई जन्मता ही नहीं है "
क्यों ???
" क्योंकि उस दिन तो छुट्टी रहती है " और मैं सच में बेवकूफ बन गया । फिर पापा ने बताया कि वो बेवकूफ बना रहे थे ।
और भी कई यादें हैं पर वो कभी और पर आज की बताता हूँ लगभग 200 फेसबुक मित्रों ने बड्डे विश किया था,  सबको जवाब देना जरूरी था तो शॉर्टकट में " धन्यवाद भाई साहब " को पेस्ट कर दिया जिसमें कई महिला मित्र भी शामिल थी फिर सॉरी लिखना पड़ा सो अलग से

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