Saturday 16 May 2015

जातिवादी रंग में रंगी वर्चस्व की लड़ाई

मीडिया में खबरें देखी कि मेड़ता सिटी के पास डांगावास गाँव में जाटों ने दलितों पर हमला किया, 3 की मौत । मेरी स्कूली शिक्षा मेड़ता में हुई क्योंकि मेरे पापा की पोस्टिंग वहीं थी । इसलिये मेरे उस क्षेत्र में अब भी बहुत से दोस्त हैं, तो फोन लगाया और पूछा कि भाई असल माजरा क्या है ? तो कुछ 5 - 7 दोस्तों से पूछने पर असल कहानी कुछ इस तरह निकल कर आयी -
1956 में चिमनाराम जाट के पुरखों ने रतनाराम और पांचाराम मेघवाल के पुरखों से जमीन खरीदी पर नियमों के चलते अभी तक चिमनाराम जाट SC/ST एक्ट की वजह से अपने नाम नहीं करवा सका, सिर्फ जुताई करता था । जमीन ज्यादा थी, 24 बीघा, तो लड़ाई कोर्ट में पहुँच गयी । जब वहाँ भी मामला न निपटता दिखा तो गाँव में सामूहिक बैठक करके उस जमीन को गौ-शाला के नाम करने का निर्णय लिया गया जो कि चावण्डिया रोड पर स्थित थी । इस बीच इस जमीन के लिये कई ज्ञापन आदि भी दिये गये SDM, कलेक्टर को पर कोई निबटारा नहीं हुआ । ये सब देख के जमीन के कागजिया मालिक रतनाराम मेघवाल ने उसपर पिछले कुछ दिनों से निर्माण कार्य शुरू करवा दिया । जब जमीन के जुताइया मालिक चिमनाराम जाट को ये पता लगा तो इसने विरोध किया । इस विरोध के कारण मेघवाल ने अपने निर्माण कार्य की रखवाली के लिये कुछ लठैत बावरिये रख लिए, जिनके पास देशी दो नाली बन्दूकें भी थी ।
फिर वो दिन आया यानि कि 14 - मई - 2015, जब दोनों पक्षों ने गाँव में मिल बैठके मसला सुलझाने का निर्णय किया, सुबह 10 बजे मीटिंग रखी गई लेकिन मेघवाल पक्ष नहीं आया तो उसको बुलाने कुछ लोग गये । जब वो 11 बजे उस खेत में पहुंचे तो वहाँ बैठे बेवड़े लठैतों को लगा कि उनको मारने आये हैं तो उन्होंने फायरिंग कर दी । जो वहाँ एक लड़के रामपाल के सीने में लगी और वो वहीं खत्म हो गया । ये खबर आग की तरह फैल गयी और डांगावास और उसके आस पास के गांवों से भी ट्रैक्टर - ट्रॉलियों में भरकर कोई 500 - 600 जाट आ गये और वहाँ मौजूद रतनाराम मेघवाल को इतना पीटा कि मरे समान हो गया तो उसको मरा हुआ समझके वहीं पटक दिया, और बाकि 2 में से एक पांचाराम को कुल्हाड़ी से काट दिया और दूसरे पोकाराम की आँखों में लकड़ी डाल दी और फिर उन दोनों को बांधकर के उनपर ट्रेक्टर चढ़ाया गया और तब तक ऊपर से निकाला गया जब तक वो ढंग से रौंद न दिये गये हो । बाकि लोगों ने वहाँ मौजूद महिलाओं के कपड़े फाड़ कर नंगा कर दिया और बलात्कार की कोशिश भी की । इसके बाद वहाँ बने हुये मकान को तोड़ दिया गया और वो सामान उठा के दूसरी जगह ले गये ।
अब तक 2 बज चुके थे, और जमीन के कागजिया मालिक रतनाराम को मेड़ता के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया जहाँ उसका ईलाज शुरू हो चूका था पर उसके जिंदा होने की खबर दूसरे गुट को लग गयी थी तो वो वहाँ पहुँच गये ईलाज कर रहे डॉक्टर्स को भगा दिया । उसको अस्पताल से बाहर लाकर उसकी गर्दन तोड़ दी गयी । इस बीच वहाँ मौजूद पुलिस वालों को भी पीटा गया । जब तक नागौर स्थित जिला पुलिस मुख्यालय से अतिरिक्त जाब्ता नहीं आ गया तब तक मेड़ता थाने में तैनात पुलिसवालों की गाँव में घुसने की हिम्मत तक नहीं हुई । फिर पुलिस जाब्ता पहुंचा और धारा 144 लगानी पड़ी । इस बीच अन्य घायलों को JLN अस्पताल, अजमेर रैफर किया गया जिनको ले जाने वाली एम्बुलेन्स को पुलिस सुरक्षा देनी पड़ी ।



अब तक इस हत्याकांड में 4 लोगों की मौत हो चुकी है और मीडिया इस वर्चस्व की लड़ाई को अगडों - पिछड़ों की लड़ाई बना चूका है, इसमें दोनों गुटों की बराबर गलती है लेकिन जाट संख्या में ज्यादा होने के कारण मेघवालों के लोग ज्यादा मारे गये और वो भी नृसंस तरह से । इस बीच जब मीडिया ने गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया से हत्यारों की गिरफ्तारी के बारे में पूछा गया तो वो बोले " कोई ऐसा जादू तो नहीं है हमारे पास, कि तुरन्त आदमी को ढूंढ लें "

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