Sunday 10 May 2015

माँ, आपके लिये एक दिन बहुत कम है

आज मदर्स डे है तो सब अपने - अपने हिसाब से मना रहे हैं पर पर ये उत्सव है, जो एक दिन मनाने वाला दिन नहीं है बल्कि ये तो पुरे साल चलने वाला है । एक दिन का भगवान बनाने से बेहतर है कि उसकी आप रोजाना सेवा करो । बस भगवान मत बनाओ, क्योंकि जब भी किसी को भगवान बनाया है तो वो अपनों से दूर होने का खामियाजा जरूर भुगतता है ।

मैं अपनी बताता हूँ कि मुझे माँ की याद सबसे ज्यादा तब आती थी जब मैं भूखा होता था, क्योंकि माँ हर समय खाने को पूछती थी । हाँ ऐसे भी मैं माँ को बहुत याद करता था पर सबसे ज्यादा तब जब मुझे उनकी जरूरत होती थी । इसके अलावा जब मैं कॉलेज में पढ़ने के लिये घर से दूर गया तो शुरू में हॉस्टल में रहा तो वहाँ मुझे खाना खाते समय माँ की याद आती थी, क्योंकि वहाँ का खाना ही इतना खराब होता था ।
कई बार माँ को काम करते देखता था तो उनकी इज्जत मेरी नजरों में बढ़ जाती थी । जैसे कि मैंने फिर हॉस्टल छोड़ा और किराये पर फ्लैट लेकर रहने लगा तो जब खाना बनाता था तो कभी हाथ जल जाता तो सोचता कि एक बार में इतना जलता है तो माँ का हाथ तो रोज जलता है फिर भी वो उफ्फ नहीं करती । फिर जब कपड़े धोने शुरू किये तब पता चला कि कितनी मेहनत करनी पड़ती है वरना हम तो सिर्फ माँ को बोल देते थे कि कपड़े धो दो ।
फिर एक बार जब माँ गैस जला रही थी तो उसने आग पकड़ ली । वो तो बचके बाहर आ गई पर मेरी चाची जी अंदर फंस गयी तो लोगों के लाख रोकने के बाद भी उनको बचाने के लिये जलते गैस सिलिंडर को बाहर घसीट ले आई । तब मेरे लिये मेरी माँ की इज्जत और बढ़ गयी ।

बाकि माँ के बारे में जितना कहूँ उतना कम है, जो लोग माँ को बोझ मानते हैं उनको इतना याद रखना चाहिए कि जो आपको पाल - पोसकर इतना बड़ा कर सकती है वो अपना जीवन तो गुजार ही सकती है । जब छोटा था तब मेरे गुरूजी ने कहा था " पुत्र, कुपुत्र हो सकता है पर माता कभी कुमाता नहीं हो सकती । " इसलिये हमें चाहिये कि हम गुरूजी के इस वक्तव्य को झूठा साबित करें ।

In this photo : My mom

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