Monday 5 June 2017

हमामी नँगे

साहेब,
आप तो बहुत कमजोर निकले, सिर्फ एक चैनल के सवालों से घबरा गये ? एक चैनल भी पूरा कहाँ था, एक Ravish Kumar ही तो था । जनाब आपकी छाती नहीं, पेट 56 इंच का है इसलिये गिनती के कुछ सवालों से ही सांस फूलने लग गयी । मैं तो कहता हूँ आप भी रवीश के चैलेंज के जवाब में खुलेआम लालकारिये इंटरव्यू देने को, आखिर आपने काम किया है, तो डर कैसा ?
सामने आने की हिम्मत नहीं हो रही ?
होगी भी नहीं, जिस दिन एक इंटरव्यू रवीश को दे दिया न उस दिन जैसे आपकी कागजी जीडीपी नीचे आयी है न, वैसे ही आपका कार्यकाल नीचे न आ पड़े तो कहना !
वर्तमान परिदृश्य में आप अकेले नेता है जो बात करते है लोकतंत्र की और काम करते है तानाशाही का, मुझे आज तक ये नहीं समझ आया कि आप भाषणों में इंदिरा गाँधी की इमरजेंसी के खिलाफ जिक्र करने के लिये इतनी बेशर्मी आखिर लाते कहाँ से है ? मुझे पता है आप और आपके चमचों पर मेरे इस पत्र का कोई असर नहीं पड़ने वाला फिर भी लिख रहा हूँ, क्योंकि लोकतंत्र में सरकार से सवाल करना लोगों हक़ है, ये चीज आपको जल्द से जल्द समझ लेनी चाहिये ।

तो इस बार सरकारी तोते का पिंजरा आखिरकार खुल ही गया,  NDTV को सज़ा मिली है सवाल करने की, अपनी ड्यूटी करने की, लोगों को सच बताने की । मीडिया का काम विपक्ष का होता है न कि सरकारी प्रवक्ता का पर इन दिनों इस देश में उल्टी गंगा बह रही है, बोले तो नमामि गंगे के एकदम उलट हमामी नँगे, काम करने वालों को परेशान तो चमचागिरी करने वालों को ईनाम दिया जा रहा है । भारतीय मीडिया लोकतंत्र के खम्भे से शराब का खम्भा बनने की और तेजी से अग्रसर है । NDTV ही एकमात्र ऐसा चैनल है जो न तो बाकियों की तरह सुबह सुबह भविष्य बताने वालों को बैठाता है, न ही नोट में झूठी चिप डालता है, न रोज फालतू में trp के लिये दाऊद या पाकिस्तान को तहस नहस करता है, न ही फालतू के बॉलीवुड के ऊप्स मोमेंट्स को खबर बनाता है । इसे ही पत्रकारिता कहते है, बाकि चैनल जो करते है उसे चमचागिरी कहते है ।

NDTV को पिछले कुछ समय मे किस तरह परेशान किया गया, उसकी बानगी देखिये जरा :

सबसे पहले कथित संवेदनशील कन्टेंट मामले में एक दिन के लिए बैन

दूसरा ED द्वारा FEMA के नियमों का उल्लंघन करने को लेकर 2030 करोड़ रुपए का नोटिस जारी करना

तीसरा ICICI बैंक का कथित तौर पर 48 करोड़ के कर्जे का मामला, अव्वल तो बैंक ने इस मामले में सरकार से कोई जाँच की माँग ही नहीं की थी फिर भी मोदीजी का तोता खुद ही इस मामले में अपनी चोंच अड़ा रहा है

साहेब, हमारा विरोध NDTV पर पड़े छापे को लेकर नहीं है, औऱ Raid कीजिये पर हर बार निशाना NDTV ही क्यों ?

जनाब, पूरा देश आपके पिट्ठू चैनल्स की हक़ीक़त जानता है, क्या इन सवालों का जवाब भी मिलेगा कभी, जो नीचे साझा कर रहा हूँ :


क्या आपने कभी जानने की कोशिश की कि अर्नब गोस्वामी जो नया चैनल लाये है उसमें कितना पैसा, किसका लगा है और कितना धन काला या गोरा है ?

बीजेपी के समर्थन से MP बने और रक्षा सौदों के बिचौलिये राजीव चन्द्रशेखर का रिपब्लिक में पैसा लगाने का क्या उद्देश्य है ?

क्या आपने रजत शर्मा को पद्मभूषण इसलिये नहीं दिया कि वो आपके संगठन से आते है और खुल के आपकी आलोचना करने वालों के खिलाफ जमकर अभियान चलाते है ।

1 करोड़ की रिश्वत लेने के स्टिंग में आने के बाद तिहाड़ जेल की हवा खा आये सुधीर चौधरी आपके झूठे कसीदे पढ़ता है, और सरेआम झूठी खबरों से आये दिन मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिये देश को गुमराह करता है, ये कारवाई से सिर्फ इसलिये बचा है क्योंकि आपके विरोधियों के खिलाफ झूठी खबरें प्लांट करवाता है ।

क्या ज़ी मीडिया के मालिक सुभाष चंद्रा को आपकी पार्टी की सहायता से राज्यसभा नहीं भेजा गया ? वो भी विपक्ष के वोट खारिज करवा कर ? इस कृपा की वजह बताइये

इसी तरह आपकी 24 ×7 हाजिरी बजाने वाले चैनल्स को आपने कई अरबों की ऐड नहीं दी ? क्या ये उनका अहसान चुकाने के अनैतिक तरीका नहीं है ?

धन्यवाद,

जवाब के इंतजार में,
आपका
एक नागरिक 

1 comment:

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