Wednesday 8 April 2015

लव स्टोरी, जो शुरू न हो पायी

" घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही,
रस्ते में है उसका घर ।
कल सुबह देखा तो बाल बनती वो,
खिड़की में आयी नज़र ।। "

ये आपके लिये महज एक गाना हो सकता पर मेरे लिये ये गाने से बढ़कर है कहीं । ये वो चन्द लाइनें हैं जो अजमेर में मेरी इंजीनियरिंग के दौरान पहली और अंतिम लव स्टोरी की प्रार्थना ( धार्मिक नजरिये से ) या संविधान ( संवैधानिक नजरिये से ) या राष्ट्रीय गीत ( जनतांत्रिक नजरिये से ) थी । ये गाना मैं उन दिनों लगभग 20 - 25 बार सुना करता था दिन में, हाँ इससे मेरे रूममेट जरूर बोर हो गये थे लेकिन मेरे लिए तो क्या था ये आप ऊपर जान सकते हैं ।
इस बीच आपको अपनी लव स्टोरी तो बताना भूल ही गया

1st इयर के अंत में मैंने कैलाशपुरी ( क्रिश्चयनगंज ) में नया फ्लैट ( PN 67 ) किराये पर लिया था, जून का महीना था तो शाम को बाहर बैठते थे । सामने वाली लाइन में 2 घर छोड़ कोने में उसका घर था, शाम को उसकी कोचिंग थी तो वो 5.10 से 5.15 के बीच घर से निकलती थी और ये वो टाइम होता था जब उसको मैं देख सकता था 1 या 2 मिनट के लिये और कभी नहीं देख पाता तो मन आत्मग्लानि से भर जाता था और जब वो शाम को 6.45 से 6.55 के बीच वापस आती तो अपना फिर यही काम । बोले तो उसको देखना मेरी ड्यूटी बन गयी थी ।

नाम पता नहीं था, बस घर के बाहर मेहरा हाउस लिखा हुआ था तो मेरे लिए वो मिस मेहरा थी और रूममेट्स के लिए भाभी जी, हाँ इलेक्शन कॉमिशन की साईट पर जाके वोटर लिस्ट भी डाउनलोड की लेकिन वहाँ भी सिवाय उसके मम्मी - पापा के उसका नाम नहीं था । वो +2 में थी तो शायद 18 की हुई नहीं थी ।
नाम पता करता भी कैसे आस पड़ोस वाले तो वैसे भी लड़कों से बोलते नहीं हैं, पता नहीं क्यों ?  पर नहीं बोलते हैं । और उसकी दोस्तों से नाम पता करने की हिम्मत नहीं हुई, क्योंकि मुझमें लड़कियों से बात करने में एक झिझक थी जो अब भी है ।

ऐसा नही है कि उसको देखने का काम सिर्फ शाम तक ही सिमित था, सुबह भी ऐसा ही करता था । एक लड़का जो रात को देर से सोता और सुबह 10 बजे तक उठता था, वो लड़का अब मिस मेहरा की वजह से सुबह जल्दी उठने की कोशिस करने लगा ।  शुरू-शुरू में तो जब सुबह अलार्म बोलता था तो मन करता मोबाइल को जमीन पर दे मारूं लेकिन मिस मेहरा ने एक रूटीन सेट कर दिया था, सुबह जल्दी 7 बजे जागना और फिर मुँह धोकर बाहर को भागना, क्योंकि 7.05 से 7.10 के बीच सुबह स्कूल जाने का टाइम था और फिर दोपहर को 1.10 से 1.15  तक लौटना और उस कड़ी धुप में उसका इंतजार करना, यदि वो कभी 5-10 मिनट लेट हो जाती तो पसीने से पूरा शरीर तर बत्तर लेकिन देखे बिना नहीं रहना ।

शायर ग़ालिब ने कहा था " आदमी तो हम काम के थे, लेकिन इश्क़ ने निकम्मा बना दिया ग़ालिब " लेकिन यहाँ अपने मामले में ये शेर उल्टा था " आदमी तो हम किसी काम के न थे, लेकिन इश्क़ ने काम का बना दिया "

एक दो बार मिस मेहरा मुझे मन्दिर में दिखी तो इस अघोषित नास्तिक ने उसके चक्कर में मन्दिर जाना भी शुरू कर दिया, और तो कोई जाता नहीं था साथ वालों में तो मेरे से थोड़ी दूर रहने वाले दोस्त राजू को बुलाता था, क्योंकि वो थोड़ा धार्मिक प्रवृति का था । हाँ दोस्त बोलते थे कि वो भी मुझे लाइक करती है पर पता कैसे चले  इसका ।

हाँ एक बार जब वो शाम ट्यूशन जा रही थी तो उसने हमारे गेट के सामने लाकर स्कूटी को ब्रेक लगाया और एक पैर नीचे रख के धीरे से जानबूझकर स्कूटी नीचे गिरा दी, दोस्तों ने बोला कि जाओ तो हिम्मत करके जाने लगा इतने में उसके पापा आ गये तो नहीं जा पाया । दोस्तों ने बोला कि वो भी तेरे को लाइक करती है तभी तो स्कूटी गिराई थी जिससे तू उठवाने जाये और कुछ बात हो जाये । शायद मुझे भी यही लगा उस दिन तो कम से कम ।

मेरा एक रूममेट था वरुण, जो मेरे लिए उस टाइम मेरा लव गुरु था, उसकी देखरेख में मैंने आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन लड़कियों से झिझक की वजह से कभी बात नहीं कर पाया, डर था मन में कि कहीं वो ना न बोल दे या गुस्सा न हो जाये । एक डर और भी था कि कहीं मैं बोलूँ और भीड़ के सामने चांटा न मार दे लेकिन वरुण भाई ने ये बोल के डर दूर कर दिया हम उससे इजहार-ए-इश्क़ ही तो कर रहे हैं, नहीं पसन्द आया तो ना बोल देगी इससे ज्यादा क्या होगा । लेकिन ना बोल देगी इसने तो और ज्यादा डरा दिया । कहीं ना न बोल दे, ना बोल दिया तो उसको देख भी नहीं पाऊंगा । बस यूँ ही चलता रहा कुछ सप्ताह तक तो लेकिन गुरु देव वरुण ने बोला कि ऐसा कब तक चलेगा ?
जब तक वो मुझे नहीं बोल देती ?
वो तुझे क्यों बोलेगी ?
यार वो भी तो मेरे को लाइक करती होगी न ?
तुझे कैसे पता वो तेरे को लाइक करती है ?
क्योंकि उसने आजतक टोका भी तो नहीं ।
तेरे जैसे बेवकूफ हजारों हैं उसके आगे पीछे
लेकिन वो मेरे जैसे सच्चे आशिक़ थोड़ी न है
लेकिन उसको थोड़ी न पता है तेरे वाला ट्रू लव है
यार, वो अंधी थोड़ी न है, उसको दिखता नहीं क्या ?
क्या नहीं दिखता ?
यही कि कोई लड़का उसकी शक्ल और शरीर के अलावा उसकी बोल्डनेस और सादगी पर फिदा है, उससे ज्यादा सुंदर तो उसकी दोनों फ्रेंड हैं ।
भाई, लड़कियों को सभी लड़के एक से ही नजर आते हैं शुरू-शुरू में
तो क्या करूँ ?
बोल दे
डर लगता है मना कर देगी
तो अभी कौनसा वो तेरे से चिपकी रहती है
हाँ, ये बात भी सही है, तो ठीक है शाम को जब वो कोचिंग से वापस आती है तब थोङा अँधेरा भी रहता है तब बोलेंगे
अँधेरे में क्यों ?
वो चांटा मारेगी भी तो कोई देखेगा नहीं न
शाम को बोलेगा तो जरूर मारेगी
क्यों ?
शाम क्या पता किसी बात की टेंसन हो तो गुस्से में मार भी दे लेकिन सुबह उसका मूड फ्रेश रहेगा, तब आराम से बोलना
ठीक है 2 दिन बाद
कल क्यों नहीं
बोलने की थोड़ी प्रिपरेशन भी तो करनी पड़ेगी न
आज कर ले, वन नाईट स्टडी से एग्जाम दे आता है लेकिन लड़की को नहीं बोल सकता, क्या अजीब आदमी है तू ?
भाई तू बात को समझ तो सही
कुछ नहीं समझना कल सुबह तो कल सुबह
ठीक है तो फिर कल सुबह पक्का

अब सुबह 5 बजे उठे और नहा के सज संवर के तैयार हो गये, अभी 6 बजे थे कि अख़बार आ गया । सोचा पहले अख़बार पढ़ लेते हैं और अख़बार में मुख्य पृष्ठ पर 3 खबर थी
" लड़की ने आशिक को पुलिस के हवाले किया "
" मनचले को भीड़ ने पीटा"
" लड़की के घरवालों ने मनचले को धुना, कई दिन से कर रहा था परेशान "

खबर पढ़ के मेरा तो मन ही बैठ गया, दिमाग जाम हो गया, आँखों के सामने मेरी धुनाई, पुलिस स्टेशन और हॉस्पिटल के दृश्यों के सिवा कुछ नहीं आ रहा था और फिर घर वालों का डर अलग से, पुलिस वाले या लड़की तो छोड़ भी दे लेकिन घरवाले तो ऐसा तोड़ेंगे कि पुलिस की मार भी कम लगे उसके सामने ।

एक्शन ऑन द स्पॉट " प्रपोज का प्लान कैंसिल "

वरुण बोला क्यों ?
मैंने अख़बार उसकी तरफ बढ़ा दिया
अरे कुछ नहीं होगा यार ( खबर पढ़के बोला )
नहीं भाई, अपने बस की बात नहीं है
तू जाट का बेटा है, जो युद्ध में बड़े बड़े शूरवीरों को धूल चटा देता है
वो फील्ड अलग है भाई, इसको और उसको मिला नहीं सकते
तेरे 2 चाचा आर्मी में हैं, तेरे खून में बहादुरी है
रहने दे भाई, क्यों पीटाना चाहता है ?
तू कितना बहादुर और निडर है, उस लड़के से लड़ाई में तूने कैसे धोया था उसे
तो तू आज उसका हिसाब चुकता करने के मूड में है क्या ?
अरे नही, मैं हूँ न तेरे साथ
भाई और कभी, आज नहीं । मेरी फट रही है आज, रहने दे, नहीं हो पावेगा

और वो " और कभी " फिर कभी नहीं आया ।

मैंने सोचा वो बोल देगी लेकिन नहीं बोला, ऐसा क्यों होता है, हर बार लड़के ही बोलें, लड़कियां भी बोल सकती हैं, उनको किसने रोका है । माना मैं तो इस मामले में थोड़ा डरपोक हूँ लेकिन यहाँ तो वो भी ऐसी ही थी । उसके कुछ महीनों बाद हमने रूम बदल लिया था लेकिन उसके लिए दिल तब भी धड़क रहा था ।

कुछ दिन बाद उसकी अख़बार में एक फ़ोटो आयी उसके मम्मी पापा के साथ जो मैंने काटकर रख ली । ये फोटो ही उसकी पहली और आखिरी निशानी है मेरे पास

11 comments:

  1. एक दिन बहुत बङा वाला राईटर बनेगा

    ReplyDelete
    Replies
    1. जरूर जब आप हमें हौसला अफजाई करेंगे तो जरूर बनेंगे

      Delete
  2. मन भर आया आपकी कहानी से तो वैसे वरुण भाई कहाँ पर है आजकल

    ReplyDelete
    Replies
    1. बड़ी अजीब सी लव स्टोरी है हमारी तो ...

      Delete
    2. हाँ जी दिल के अरमान दिल में रह गए
      क्या दोष जमाने को हम ही बुजदिल रह गये

      Delete
  3. सही बात बोली आपने बिल्कुल साँची बात

    ReplyDelete

डॉ कलाम को श्रद्धांजलि

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam ) का जन्म 15 October 1931 को तमिलनाडु के Rameswaram में हुआ । इन्होंने 1960 ...