Wednesday 1 May 2013

मजदूर दिवस भी मजदूरों का नहीं

सबसे पहले तो मजदूर दिवस (1 मई, May Day) की शुभकामनाएं और आशा करता हूँ कि आने वाला साल आपके लिए खुशियाँ लाये ।

मजदूर :
मजदूर, शब्द सुनते ही दिमाग में एक गरीब, अशिक्षित, मैले-कुचेले कपड़ो पहने और पसीने से लथपथ व्यक्ति की छवि बनती है । मजदूर समाज की वो कड़ी है जिसके सहारे हम लोगों को खाने के लिए रोटी, पहनने के लिए कपडा और रहने के लिए मकान जेसी प्राथमिक सुविधायें  मिलती है और ये वर्ग आज समाज  में सबसे पिछडा है और सबसे हेय समझा जाता है । आज भी बंधुआ मजदूरी ख़त्म नही हुई है जिस वजह से उस मजदूर की पूरी जिन्दगी नारकीय बन जाती है । आज के दिन भी मजदूरों को पता नही है कि आज उनका दिन है ।

कारण :
इसके पीछे मूल कारण है देश की राजनीती में मजदूरों की आवाज उठाने वालों का न होना । इसके पीछे और भी कई कारण हैं जेसे पूंजीवाद परस्त सरकारें, लोगों की विकृत मानसिकता, सरकार में अमीरों का बोलबाला, मजदूर नेताओ का पूंजीपतियों के हाथों बिक जाना या फिर कोई मजबूत लीडर न होना ।
हर वर्ष की तरह इस बार भी सरकारें मजदूर दिवस पर सेमिनार आयोजित करवा के इतिश्री कर लेगी बजाय गरीबी उत्थान की अच्छी योजना बनाने के और मजदूरों और उनके बच्चों को शिक्षित करने के । सरकार को ये सोचना चाहिए की गरीब और गरीब क्यू हो रहे हैं । मजदूरों की इस दुर्दशा  के लिए अकेली सरकार ही जिम्मेदार नही है बल्कि हमारा सामाजिक ताना-बाना भी बराबर के जिम्मेदार हैं ।

समाधान :
मजदूर और उसका परिवार शिक्षित हो और इसके लिये उसके परिवार को शिक्षा की सुविधा सरकार अलग से करे, साथ ही ग्रेजुएशन तक मुफ़्त शिक्षा और छात्रवृती की व्यवस्था भी सरकार ही करे । मजदूरी की निम्नतम सीमा बढाई जायें । सरकार सस्ता राशन उपलब्ध करवाये इत्यादि ।
हम भी गाहे बगाहे इनका अपमान करते रहते है ,,, ये धरती के " शिल्पकार " हैं ।
जो मित्र मजदूरों को FB / Twitter / Instagram जैसी सोशल साइट्स पर मजदूरी न मिलने पर छीनने की सलाह दे रहे हैं उनसे निवेदन है कि किसी चौराहे पर या फैक्ट्री में बोले, जहाँ मजदुर हो; यहाँ इंटरनेट की वर्चुअल दुनिया में कोई मजदूर नहीं हैं, मजदूरों को यहाँ तक आने के लिये अभी बहुत लम्बा रास्ता पार करना होगा ।

अगर आपका मजदूर क्रांति करने का मूड है तो आपके यहाँ जो मजदूर काम करते हैं, उनको समय पर और भूरा भुगतान करें ,,, ये भी अपने आप में क्रांति है । अंत में " जोर जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है "

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