आप कहने को बहुत ज्यादा बड़े हैं।
असलियत ये है मचानों पर खड़े हैं।
ख़ास कन्धा दास चन्दा रास धन्धा
एक अन्धे दौर के सिर पर चढ़े हैं।
कीजिए झट कीजिए इनकी नुमाइश
आपके आदर्श फ्रेमों में जड़े हैं।
कोई सच्चाई यहाँ टिकती नहीं है
क्रंती के वक्तव्य क्या चिकने घड़े हैं।
हर किसी में दम नहीं इसको नभाए
आदमीयत के नियम खासे कड़े हैं।
वो लड़ेंगे क्या कि जो खुद पर फ़िदा हैं
हम लड़ेंगे हम ख़ुदाओं से लड़े हैं।
In this pic - Jitendra Puniya
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