सुर बदलते दिख रहे हर पार्टी के
उड़ गए है रंग चेहरों से सभी के
मुस्कराहट अजनबी सी हो गई है
वो चमक,वो आक्रामकता खो गई है
क्या हुआ क्यों पड़ गये है रंग फीके
भाईचारा आपसी कायम हुआ है
शोर तू तू मैं मैं का कुछ कम हुआ है
मायने बदले हुए हैं दोस्ती के
वो जो कहते थे किसी का डर नहीं है
अब जुबां चुप है, कोई उत्तर नहीं है
प्रश्न थे चिल्लर,सभी आम आदमी के
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