वो चाहते है
वो चाहते है कि हम अपना हक छोड़ दें,
इनके तमाशों के खातिर,
मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारों के नाम पर,
जात-पात, ऊँच-नीच के नाम पर,
sc, st, obc, general के नाम पर,
चंद लोगों के "कथित विकास" के खातिर,
वो चाहते है हम भूल जायें,
सदियों तक झेले अपमान को,
सभ्यता पर प्रहार को,
बेतहाशा ढहाये अत्याचार को,
धर्म, शिक्षा, के शोषण को,
वो चाहते है आवाज न उठाये,
शोषण, अत्याचार के खिलाफ,
गुलामी के खिलाफ,
निरंकुश सत्ता के खिलाफ,
आखिर "वो" कौन लोग है ?
वो वही है जिन्होंने कुचला था,
दबाया था, धमकाया था,
बहलाया था, फुसलाया था,
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