" नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद "
" वसुंधरा राजे मुर्दाबाद "
" जमीन कब्जाओ बिल वापस लो
" भारत माता की जय "
" भारत माता की जय "
जैसे ही ये शब्द सुनें मैंने ऊपर पेड़ की तरफ देखा, वहाँ एक राजस्थानी गले में फंदा डाले भारत माता के जयकारे लगा रहा था, समय हुआ था 1.38 और कुछ देर नारे लगाने के बाद 1.39 पर उन्होंने फाँसी वाला सफेद गमछा गले में डाल लिया फिर अचानक पैर फिसला और उन्हें फाँसी लग गयी । शायद वो आत्महत्या नहीं करना चाहते थे, सिर्फ विरोध प्रकट कर अपनी और ध्यान आकर्षित कर रहे थे, जो कि उनका लिखा नोट " मुझे घर जाने का उपाय बतायें " भी यहीं इंगित करता है ( उनकी फ़ोटो भी देख सकते हैं जानने के लिये ) हम लोग वहीं सन्न रह गये, दिमाग चल ही नहीं रहा था ।
इस बीच कुछ वालंटियर्स ने मंच पर मौजूद लोगों को सुचना दी और मंच से कुमार विस्वास ने पुलिस वालों से उन्हें नीचे उतारने की अपील की लेकिन उनके कान पर कोई जूं नहीं रेंगी । मंच से कुमार विस्वास बार - बार पुलिसकर्मियों से उनको बचाने के लिये आगे आने की अपील करते रहे पर जब कोई नहीं आया तो उन्होंने AAP कार्यकताओं से उनको नीचे उतारने की अपील की । इस बीच भूपेन्द्र भाई सहित कुछ 2 - 3 साथी ऊपर चढ़े और उन्होंने उसके गले से फंदा निकाला लेकिन वो लोग गजेन्द्र भाई को संभाल नहीं सके और वो उनके हाथ से फिसल के नीचे आ गिरे । हालांकि हम लोगों ने निचे बिछाने वाली दरी तान रखी थी जिससे अगर वो गिरे तो चोट नहीं लगे, लेकिन जब वो गिरे तो लोगों के हाथो में पकड़ी दरी फट गयी और उनके सर में चोट लग गयी । तब तक 1.44 बज चुके थे, हमने उनको संभाला तो उनकी साँसे चल रही थी तो हमारे कुछ साथी उसको लेकर RM लोहिया हॉस्पिटल के लिये निकल गये । जो कि सिर्फ 3 KM की दूरी पर था, और 15-16 मिनट बाद वहाँ पहुँच गए थे और वहाँ पहुँचते ही डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और इस बीच आस - पास कोई भी पुलिस वाला नहीं फटका, न तो वहाँ मौजूद कोई पुलिसवाला उनको बचाने आया न ही उनको हॉस्पिटल ले जाने को आगे आया । इस पुरे प्रकरण को सिर्फ आम आदमी पार्टी ( AAP ) के कार्यकर्ताओं ने ही अपने लेवल पर हैंडल किया । लगभग 2.10 बजे तक जंतर - मंतर पर मौजूद साथियों तक ये खबर पहुँच चुकी थी । और तब मंच पर अरविन्द का भाषण चल रहा था । अग़र तब अरविन्द मंच नही सँभालते और कुछ नही बोलते तो शायद कार्यकर्ता भड़क जाते । अरविन्द ने हालात को संभाले हुए सबको शांत करया।
" वसुंधरा राजे मुर्दाबाद "
" जमीन कब्जाओ बिल वापस लो
" भारत माता की जय "
" भारत माता की जय "
जैसे ही ये शब्द सुनें मैंने ऊपर पेड़ की तरफ देखा, वहाँ एक राजस्थानी गले में फंदा डाले भारत माता के जयकारे लगा रहा था, समय हुआ था 1.38 और कुछ देर नारे लगाने के बाद 1.39 पर उन्होंने फाँसी वाला सफेद गमछा गले में डाल लिया फिर अचानक पैर फिसला और उन्हें फाँसी लग गयी । शायद वो आत्महत्या नहीं करना चाहते थे, सिर्फ विरोध प्रकट कर अपनी और ध्यान आकर्षित कर रहे थे, जो कि उनका लिखा नोट " मुझे घर जाने का उपाय बतायें " भी यहीं इंगित करता है ( उनकी फ़ोटो भी देख सकते हैं जानने के लिये ) हम लोग वहीं सन्न रह गये, दिमाग चल ही नहीं रहा था ।
इस बीच कुछ वालंटियर्स ने मंच पर मौजूद लोगों को सुचना दी और मंच से कुमार विस्वास ने पुलिस वालों से उन्हें नीचे उतारने की अपील की लेकिन उनके कान पर कोई जूं नहीं रेंगी । मंच से कुमार विस्वास बार - बार पुलिसकर्मियों से उनको बचाने के लिये आगे आने की अपील करते रहे पर जब कोई नहीं आया तो उन्होंने AAP कार्यकताओं से उनको नीचे उतारने की अपील की । इस बीच भूपेन्द्र भाई सहित कुछ 2 - 3 साथी ऊपर चढ़े और उन्होंने उसके गले से फंदा निकाला लेकिन वो लोग गजेन्द्र भाई को संभाल नहीं सके और वो उनके हाथ से फिसल के नीचे आ गिरे । हालांकि हम लोगों ने निचे बिछाने वाली दरी तान रखी थी जिससे अगर वो गिरे तो चोट नहीं लगे, लेकिन जब वो गिरे तो लोगों के हाथो में पकड़ी दरी फट गयी और उनके सर में चोट लग गयी । तब तक 1.44 बज चुके थे, हमने उनको संभाला तो उनकी साँसे चल रही थी तो हमारे कुछ साथी उसको लेकर RM लोहिया हॉस्पिटल के लिये निकल गये । जो कि सिर्फ 3 KM की दूरी पर था, और 15-16 मिनट बाद वहाँ पहुँच गए थे और वहाँ पहुँचते ही डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और इस बीच आस - पास कोई भी पुलिस वाला नहीं फटका, न तो वहाँ मौजूद कोई पुलिसवाला उनको बचाने आया न ही उनको हॉस्पिटल ले जाने को आगे आया । इस पुरे प्रकरण को सिर्फ आम आदमी पार्टी ( AAP ) के कार्यकर्ताओं ने ही अपने लेवल पर हैंडल किया । लगभग 2.10 बजे तक जंतर - मंतर पर मौजूद साथियों तक ये खबर पहुँच चुकी थी । और तब मंच पर अरविन्द का भाषण चल रहा था । अग़र तब अरविन्द मंच नही सँभालते और कुछ नही बोलते तो शायद कार्यकर्ता भड़क जाते । अरविन्द ने हालात को संभाले हुए सबको शांत करया।
जब वो किसान नीचे गिरा तब उसकी साँसे चल रही थी मने जिंदा था तो उनको हॉस्पिटल रवाना कर दिया गया और सभा को जारी रखने का निर्णय लिया गया । और सोमनाथ भारती को हॉस्पिटल पहुँचने का आदेश दिया गया और यही वो वजह थी जिससे वहाँ विरोध दर्ज करवा रहे शिक्षकों ने भी अपना विरोध जारी रखा और जहाँ तक मेरा मानना है कि अगर किसी को थोड़ी सी भी भनक होती गजेन्द्र भाई की मौत की तब न तो आम आदमी पार्टी सभा जारी रखती और न ही वहाँ वो शिक्षक अपना विरोध जारी रखते । बाकि जो आरोप हैं वो सब राजनैतिक पार्टीयाँ और मीडिया अपनी TRP बढ़ाने के लिये लगा रही है ।
ये सारी बात तो हुई गजेन्द्र भाई द्वारा आत्महत्या की कोशिश करने के बाद भी आम आदमी पार्टी द्वारा सभा जारी रखने तक की । अब आगे बताता हूँ कि मैं इस सबमें कसूरवार क्यों हूँ ?
जब सुबह हम लोग बाबरपुर विधानसभा के साथियों के साथ जंतर - मंतर पहुँचे तो कौतूहलवश मैं सीधा सभा स्थल पर गया और देखा कि वहाँ लोगों में जबरदस्त माहौल था और सभी साथी बहुत उत्साहित थे । इस बीच राजस्थानी पगड़ी पहने और दाड़ी - मूँछ वाला एक आदमी, जिसके एक हाथ में एक डंडा था जिसके एक सिरे पर झाड़ू बंधी हुई थी और दूसरे हाथ में AAP का एक झंडा हाथ में लिये हुए था, मेरे पास से गुजरा और पेड़ तरफ बढ़ा और चढ़ने लगा । मुझे ये भाईसाहब बड़े ही उत्साही कार्यकर्ता लगे । फिर नीम के पेड़ पर चढ़ गये और ऊपर जाके एक कटी हुई डाली पर बैठ गये और नीचे खड़े हम लोगों की तरफ उन्होंने झाड़ू लहराई । मैंने भी जवाब में हाथ हिलाया । उनका पेड़ पर चढ़ना मुझे बिल्कुल भी नहीं अखरा क्योंकि आज तक हमारी जितनी भी सभायें हुई थी तो उसमें लोग पार्टी नेताओं को सुनने के लिए वहाँ लगे पेड़ों पर चढ़ जाते थे । और इसके बाद जब मुझे कुछ मित्र मिले तो उनसे मिलने के लिए उस पेड़ के सामने एक भवन में चला गया और इस दौरान राजस्थान से आये बाकि साथियों से भी मिला और मिलने के बाद फिर मंच पर मौजूद वक्ताओं को सुनने के लिये उस पेड़ के सामने आया । फिर अरविन्द जी 1.30 बजे मंच पर आ गये थे और कुमार विस्वास ने माइक संभाल लिया और फिर 1.38 बजे गजेन्द्र भाई नारे लगाने लगे और इसके बाद ऊपर लिखा हुआ वाकया घटित हुआ ।
NDTV की एक रिपोर्ट है, जिसको मै आपके साथ शेयर करना चाहता जो आपको बतायेगी कि उस समय मंच पर क्या चल रहा था जब ये सारा वाकया घटा ।आप भी देखिये कैसे AAP को बलि का बकरा बनाया जा रहा है मीडिया द्वारा । इस बीच मीडिया जिन लोगों को तालियाँ बजाते दिखा रही है वो लोग वहाँ विरोध करने आये शिक्षक थे, जो बिल्कुल उस पेड़ के नीचे ही थे ।
अंत में लानत भेजता हूँ पुलिस ( तमाशबीन बनने के लिये ), मीडिया ( पुलिस द्वारा सहायता न करने पर इन्हीं AAP नेताओं के कहने पर वालंटियर्स ने गजेन्द्र भाई को उतारा, इसके लिये तारीफ की जगह आलोचना करने के लिये ) और नेताओं ( बजाय समस्या को खत्म करने के, इसे आज तक सिर्फ वोट बैंक बनाकर रखने के लिये ) पर ।
NDTV की एक रिपोर्ट है, जिसको मै आपके साथ शेयर करना चाहता जो आपको बतायेगी कि उस समय मंच पर क्या चल रहा था जब ये सारा वाकया घटा ।आप भी देखिये कैसे AAP को बलि का बकरा बनाया जा रहा है मीडिया द्वारा । इस बीच मीडिया जिन लोगों को तालियाँ बजाते दिखा रही है वो लोग वहाँ विरोध करने आये शिक्षक थे, जो बिल्कुल उस पेड़ के नीचे ही थे ।
अंत में लानत भेजता हूँ पुलिस ( तमाशबीन बनने के लिये ), मीडिया ( पुलिस द्वारा सहायता न करने पर इन्हीं AAP नेताओं के कहने पर वालंटियर्स ने गजेन्द्र भाई को उतारा, इसके लिये तारीफ की जगह आलोचना करने के लिये ) और नेताओं ( बजाय समस्या को खत्म करने के, इसे आज तक सिर्फ वोट बैंक बनाकर रखने के लिये ) पर ।
गजेन्द्र भाई आपकी आत्मा को शांति मिले और ऊपरवाला आपके परिवार को इस दुःख की घड़ी से उबरने की शक्ति दे ।
Nice blog. Please check mine too.
ReplyDeletewww.differentcolorsofindia.blogspot.in
धन्यवाद ।
Deleteआप भी अच्छा और लॉजिकल लिखते हो
पूनिया जी आपकी ब्लॉग पोस्ट अपनी फेसबुक वाल पर शेयर कर रहा हूँ...
ReplyDeletehttps://www.facebook.com/photo.php?fbid=10153279872564479
जरूर कीजिये शहनवाज भाई
DeletePlease watch video to know truth - http://www.ndtv.com/.../ndtv-exclusive-what.../364864
ReplyDeletePlease watch video to know truth http://www.ndtv.com/video/player/news/ndtv-exclusive-what-happened-on-aap-stage-during-farmer-suicide/364864
ReplyDeleteThis is the truth behind fake NEWS
Deleteलगता यही है की हादसा अचानक हुया ।लेकिन सुसाइड नोट किसने लिखा? उसी से इस तरह की स्थिति बनी है ।
ReplyDeleteलगता यही है की हादसा अचानक हुया ।लेकिन सुसाइड नोट किसने लिखा? उसी से इस तरह की स्थिति बनी है ।
ReplyDeleteउन्होंने ही लिखा था, कल ndtv पर दिखाया था
Deleteकिसानो की हालत चिंताजनक है.. सरकार को कुछ करना चाहिए । प्राकृतिक आपदाओ का सामना वो अकेले ही क्यों करे ?
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