भगतसिंह का एक लेख था, " मैं नास्तिक क्यों ? " जिसमें उन्होंने बताया कि वो नास्तिक क्यों बने, कैसे बने, ईश्वरीय सत्ता को क्यो नकारा, ईश्वर के नाम पर कैसे लोगों को बहकाया जाता है, कैसे धर्म के नाम पर मानसिक विकार उत्पन्न किये जाते है, अध्यात्म, धर्म से होते हुये कैसे एक धंधा बन गया है आदि आदि । उपरोक्त सवालों के जवाब उन्होंने आज से करीब 90 साल पहले दे दिए थे पर आज भी धर्म की समस्या ज्यों की त्यों मुँह बाये खड़ी है या यूँ कहूँ कि उससे ज्यादा विकृत अवस्था में है । और आज जो भगतसिंह के नाम पर संगठन बने है वो उनकी इस शिक्षा को पढ़े बिना हर वो काम कर रहे है जो भगतसिंह ने करने को मना किया था, इसमें सबसे बड़ा नाम भगतसिंह क्रांति सेना का है जो धर्म की राजनीति का बढ़ चढ़कर समर्थन करती है ।
बात बड़ी सुन्दर लगती है, लेकिन हम इसे भी रद्द करते हैं,क्योंकि यह भी सिर्फ ऊपरी बात है। "
- ब्राह्मणवादी व्यवस्था के खिलाफ खड़े होंगे
- छात्र अपने अधिकार जान जाएंगे
- राजनीतिक रूप से परिपक्व हो जायेंगे
- हुक्मरानों से सवाल करेंगे