आज 6 दिसंबर है, बहुत से लोग है जो आज शौर्य दिवस मनाते है और बहुत से लोग शोक दिवस, दोनों की अपनी अपनी वजहें है, पर मुद्दा कॉमन है बाबरी मस्जिद, इसलिये दोनों गुट एक दूसरे के विरोध में है, खूब लिखते है, ये जानते हुए भी कि जो बीत चुका वो बीत चुका, और जो नहीं होगा वो नहीं होगा । उसे भूलकर आगे बढ़ने में ही सबकी भलाई है, पर लोगों के सर पर एक सनक सवार है, धर्म की सनक । ये ऐसी सनक है जो बर्बादी के सिवाय कुछ नहीं देती, बाबरी - गोधरा तो बस नमूने भर है, आये रोज इसके हत्थे चढ़ते लोगों की तो गिनती ही नहीं है ।
उस तरह के तमाम लोगों की तरह मैं भी दोनों दिवस मनाता हूँ, मेरे लिये भी आज का दिन शौर्य या शोक दिवस है, पर मेरी वजह अलग है, मैं शोक दिवस मनाता हूँ, क्योंकि आज के दिन भारतीय संविधान के शिल्पकार, बराबरी और जाति उन्मूलन के अगुआ, महान विद्वान बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी आज ही के दिन हमें छोड़कर इस दुनिया से चले गए थे, इसलिये मेरे लिये शोक दिवस है ।
मैं शौर्य दिवस मनाता हूँ क्योंकि आज ही के दिन अपने शौर्य से दुश्मनों को पराजित करने वाले और जीवित परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले भारत के एकमात्र सपूत कर्नल होशियार सिंह ने भी आज ही के दिन इस दुनिया को विदा कहा था ।
इसलिये दोनों सपूतों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और बाबरी वालों के लिये सद्बुद्धि की कामना करता हूँ
जय भीम !
जय हिंद !
उस तरह के तमाम लोगों की तरह मैं भी दोनों दिवस मनाता हूँ, मेरे लिये भी आज का दिन शौर्य या शोक दिवस है, पर मेरी वजह अलग है, मैं शोक दिवस मनाता हूँ, क्योंकि आज के दिन भारतीय संविधान के शिल्पकार, बराबरी और जाति उन्मूलन के अगुआ, महान विद्वान बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी आज ही के दिन हमें छोड़कर इस दुनिया से चले गए थे, इसलिये मेरे लिये शोक दिवस है ।
मैं शौर्य दिवस मनाता हूँ क्योंकि आज ही के दिन अपने शौर्य से दुश्मनों को पराजित करने वाले और जीवित परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले भारत के एकमात्र सपूत कर्नल होशियार सिंह ने भी आज ही के दिन इस दुनिया को विदा कहा था ।
इसलिये दोनों सपूतों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और बाबरी वालों के लिये सद्बुद्धि की कामना करता हूँ
जय भीम !
जय हिंद !
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