देशभर में मचा कोहराम है, क्योंकि बागों में बहार है
जबसे होश संभाला तबसे देखा अत्याचार है, क्योंकि बागों में बहार है
भ्रष्टाचारी अफसर - नेता यार है, क्योंकि बागों में बहार है
औरत और दलितों पर हो रहा अत्याचार है, क्योंकि बागों में बहार है
चौराहों पर यहाँ इज्जत लुटना आम है, क्योंकि बागों में बहार है
सत्ता को गाय, गोबर, मंदिर-मस्जिद से इकरार है, क्योंकि बागों में बहार है
कोर्ट - पुलिस अमीरों की खातिरदार है, क्योंकि बागों में बहार है
नोकरशाही को जनता से ना कोई सरोकार है, क्योंकि बागों में बहार है
मीडिया में चाटुकारों की बयार है, क्योंकि बागों में बहार है
भरी दोपहरी में छाया अंधकार है, क्योंकि बागों में बहार है
माल्या, अम्बानी, अडानी आम आदमी के पैसे लूटकर फरार है, क्योंकि बागों में बहार है
भूख, अत्याचार, बेरोजगारी के नजारे आम है, क्योंकि बागों में बहार है
चारों तरफ इंसानियत, भाईचारा, सद्भाव का संहार है, क्योंकि बागों में बहार है
मजदूर - किसान आत्महत्या करने को लाचार है, क्योंकि बागों में बहार है
खेती बाड़ी बर्बादी को तैयार है, क्योंकि बागों में बहार है
गुंडों की सरकारें झंडाबरदार है, क्योंकि बागों में बहार है
लोकतंत्र का गला घोंटने पर आमदा ये सरकार है, क्योंकि बागों में बहार है
पूंजीपतियों की गिरफ्त में हमारा सरदार है, क्योंकि बागों में बहार है
अथॉरिटी को सवालों से होता बुखार है, क्योंकि बागों में बहार है
सत्ता से सवाल करने का ना अधिकार है, क्योंकि बागों में बहार है
देश चल रहा है जैसे कि निर्मल दरबार है, क्योंकि बागों में बहार है
इस देश को व्यवस्था परिवर्तन की दरकार है, क्योंकि बागों में बहार है
आज किसी और का तो आपका नम्बर अगली बार है, क्योंकि बागों में बहार है
जबसे होश संभाला तबसे देखा अत्याचार है, क्योंकि बागों में बहार है
भ्रष्टाचारी अफसर - नेता यार है, क्योंकि बागों में बहार है
औरत और दलितों पर हो रहा अत्याचार है, क्योंकि बागों में बहार है
चौराहों पर यहाँ इज्जत लुटना आम है, क्योंकि बागों में बहार है
सत्ता को गाय, गोबर, मंदिर-मस्जिद से इकरार है, क्योंकि बागों में बहार है
कोर्ट - पुलिस अमीरों की खातिरदार है, क्योंकि बागों में बहार है
नोकरशाही को जनता से ना कोई सरोकार है, क्योंकि बागों में बहार है
मीडिया में चाटुकारों की बयार है, क्योंकि बागों में बहार है
भरी दोपहरी में छाया अंधकार है, क्योंकि बागों में बहार है
माल्या, अम्बानी, अडानी आम आदमी के पैसे लूटकर फरार है, क्योंकि बागों में बहार है
भूख, अत्याचार, बेरोजगारी के नजारे आम है, क्योंकि बागों में बहार है
चारों तरफ इंसानियत, भाईचारा, सद्भाव का संहार है, क्योंकि बागों में बहार है
मजदूर - किसान आत्महत्या करने को लाचार है, क्योंकि बागों में बहार है
खेती बाड़ी बर्बादी को तैयार है, क्योंकि बागों में बहार है
गुंडों की सरकारें झंडाबरदार है, क्योंकि बागों में बहार है
लोकतंत्र का गला घोंटने पर आमदा ये सरकार है, क्योंकि बागों में बहार है
पूंजीपतियों की गिरफ्त में हमारा सरदार है, क्योंकि बागों में बहार है
अथॉरिटी को सवालों से होता बुखार है, क्योंकि बागों में बहार है
सत्ता से सवाल करने का ना अधिकार है, क्योंकि बागों में बहार है
देश चल रहा है जैसे कि निर्मल दरबार है, क्योंकि बागों में बहार है
इस देश को व्यवस्था परिवर्तन की दरकार है, क्योंकि बागों में बहार है
आज किसी और का तो आपका नम्बर अगली बार है, क्योंकि बागों में बहार है
Nice.. aap to cha gye.... from rajendra ... name to suna hi hiha..
ReplyDeletetoo good .
ReplyDelete