पहले पहल,
जब मैं देखता मजदूर को
सोचता,
क्यों करते हैं काम ?
वो भी करें आराम
हमारी तरह, आपकी तरह
फिर एक दिन ये बात समझ आई
कि
कैसे चलेगा काम
हमारा, आपका
जब बैठ जायेंगे ये हाथ
ये हैं तो हम हैं,
ये हैं तो खाना है, रहना है, सब आराम के सुख साधन हैं,
ग़र यही न होंगे
तो कैसी होगी ये दुनिया
आप भी सोचना कभी
ग़र वक्त मिले तो
फोटो सौजन्य : दैनिक जागरण
जब मैं देखता मजदूर को
सोचता,
क्यों करते हैं काम ?
वो भी करें आराम
हमारी तरह, आपकी तरह
फिर एक दिन ये बात समझ आई
कि
कैसे चलेगा काम
हमारा, आपका
जब बैठ जायेंगे ये हाथ
ये हैं तो हम हैं,
ये हैं तो खाना है, रहना है, सब आराम के सुख साधन हैं,
ग़र यही न होंगे
तो कैसी होगी ये दुनिया
आप भी सोचना कभी
ग़र वक्त मिले तो
फोटो सौजन्य : दैनिक जागरण
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