दिल्ली में AAP सरकार और उपराज्यपाल में हुआ नया विवाद अधिकारों का नहीं है, विवाद है केंद्र में बैठी बीजेपी के इगो का, जो केजरीवाल को काम नहीं करने देना चाहती है । संविधान में साफ साफ लिखा है कि राज्य में अपने अधिकारीयों की नियुक्ति करने का अधिकार जनता द्वारा चुनी हुई राज्य सरकार का है, जिसमें केंद्र सरकार को कोई रोल नहीं है, पर बीजेपी तो दिल्ली में सरकार न बनने के कारण अब असंवैधानिक तरीके से सरकार चलाने पर आमदा है । जो कि लोकतन्त्र की हत्या है ।
यहाँ सवाल केजरीवाल, मोदी, नितीश, मुलायम, ममता का नहीं है । न ही किसी AAP, बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बीएसपी का है, यहाँ सवाल लोकतंत्र का है, अगर एक चुनी हुई सरकार अपने अधिकारियों की नियुक्ति, तैनाती और तबादले संबंधी फैसले नहीं कर सकती, तो उसकी प्रशासनिक जवाबदेही कैसे तय की जा सकती है ?
इस बार दिल्ली में नया विवाद कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति पर शुरू हुआ है । यह विवाद अब आप और नजीब जंग के बीच नाक की लड़ाई बन चूकी है । दिल्ली के मुख्य सचिव केके शर्मा के 10 दिन की छुट्टी पर चले जाने से शकुंतला गैमलीन को कार्यवाहक मुख्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपने का उपराज्यपाल के आदेश केजरीवाल सरकार को स्वीकार्य नहीं है।
इस बार दिल्ली में नया विवाद कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति पर शुरू हुआ है । यह विवाद अब आप और नजीब जंग के बीच नाक की लड़ाई बन चूकी है । दिल्ली के मुख्य सचिव केके शर्मा के 10 दिन की छुट्टी पर चले जाने से शकुंतला गैमलीन को कार्यवाहक मुख्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपने का उपराज्यपाल के आदेश केजरीवाल सरकार को स्वीकार्य नहीं है।
दिल्ली सरकार का कहना है कि राज्य में प्रशासनिक नियुक्तियों के मामले में उपराज्यपाल को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। उपराज्यपाल का विवादित आदेश न तो पुलिस और न ही दिल्ली विकास प्राधिकरण से ताल्लुक रखता, जो महकमे केंद्र के अधीन हैं, उपराज्यपाल सिर्फ केंद्र से जुड़े पदों पर नियुक्तियों का अधिकार रखता है ।
इस बीच सरकार ने नौकरशाहों और अन्य आला अधिकारियों से कहा है कि सीएम और संबंधित मंत्री की अपू्रवल के बिना एलजी के आदेशों या निर्देशों को न माना जाए।
इस बीच सरकार ने नौकरशाहों और अन्य आला अधिकारियों से कहा है कि सीएम और संबंधित मंत्री की अपू्रवल के बिना एलजी के आदेशों या निर्देशों को न माना जाए।
केजरीवाल ने गैमलिन पर 11 हजार करोड़ रुपए के कर्ज के जरिए रिलायंस इंफ्रा की दो वितरण कंपनियों का पक्ष लेने का आरोप लगाया था। साथ ही कहा कि यदि गैमलिन द्वारा तैयार की गई फ़ाइल पर मंत्री साइन कर देते तो बिजली के दाम 2 से 3 गुणा बढ़ जाते, जो सीधे तौर पर रिलायंस की अन्य कंपनी BSES को फायदा पहुंचाते ।
मुख्यमंत्री केजरीवाल के भारी विरोध के बाद भी उपराज्यपाल नजीब जंग ने शुक्रवार को गैमलिन की कार्यवाहक मुख्य सचिव पद पर नियुक्ति कर दी थी। शनिवार को मुख्यमंत्री ने उनसे नए पद का कार्यभार नहीं संभालने को कहा था। लेकिन गैमलिन ने उनके निर्देशों की अनदेखी करते हुए उपराज्यपाल के आदेश का पालन किया और पद संभाल लिया ।
इस बीच केंद्र और केजरीवाल विवाद में भाकपा ने आप का समर्थन किया और कहा कि केंद्र की राजग सरकार दिल्ली सरकार के अधिकार को कमतर करने के लिए उप राज्यपाल के कार्यालय का ‘औजार’ की तरह इस्तेमाल कर रही है। पार्टी महासचिव सुधाकर रेड्डी ने एक बयान में कहा, केंद्र और राज्य सरकारों की शक्तियां संविधान प्रदत्त हैं और मोदी सरकार को इन प्रावधानों का उल्लंघन करने का कोई अधिकार नहीं है ।
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